पंजाब में बढ़ती धर्मांतरण की साजिश और राजनीतिक कुप्रबंधन

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,26 मार्च।
पंजाब, जो कभी अपनी समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता था, आज नशे, भ्रष्टाचार और जनसांख्यिकीय असंतुलन के कारण संकट में है। इसके पीछे मुख्य रूप से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) की विफल नीतियां और राजनीतिक स्वार्थ जिम्मेदार हैं। इन दलों ने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया, बल्कि गुरुद्वारा और मंदिर समितियों को भी भ्रष्टाचार के जाल में फंसा दिया, जिससे हिंदू और सिख समाज को भारी नुकसान हुआ।

पंजाब में जबरन और प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हाल ही में सामने आया एक मामला इस खतरे की गंभीरता को दर्शाता है – एक पादरी, जिसे धर्मांतरण कराने के लिए नियुक्त किया गया था, खुद ही पिछले साल ईसाई धर्म में “परिवर्तित” हुआ था। यह इस बात का प्रमाण है कि किस तरह संगठित एजेंडे के तहत धर्मांतरण के लिए प्रशिक्षित और वित्त पोषित लोगों को तैनात किया जाता है।

ईसाई मिशनरियों को विदेशों से बड़ी मात्रा में फंडिंग मिलती है, जिसका उपयोग गरीब और अशिक्षित लोगों को लालच देकर या डर दिखाकर धर्मांतरण के लिए किया जाता है। यह न केवल धार्मिक असंतुलन को जन्म दे रहा है, बल्कि पंजाब की सांस्कृतिक पहचान को भी खतरे में डाल रहा है।

खालिस्तानी तत्वों को भी विदेशों से भारी फंडिंग मिलती है, जिससे वे अपने अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देते हैं। नशे के व्यापार को बढ़ावा देकर युवाओं को कमजोर करना और उन्हें भटकाकर आतंकवादी संगठनों में शामिल करना इसी षड्यंत्र का हिस्सा है। कांग्रेस और AAP की सरकारें इस खतरे से आंखें मूंदे बैठी हैं या फिर किसी न किसी रूप में इन गतिविधियों को बढ़ावा दे रही हैं।

पंजाब में गुरुद्वारा और मंदिर समितियों को कमजोर करने का षड्यंत्र लंबे समय से जारी है। इन समितियों को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया है, जिससे धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता पर खतरा मंडरा रहा है। इससे न केवल श्रद्धालुओं का विश्वास कम हुआ है, बल्कि समाज में विभाजन की स्थिति भी उत्पन्न हो गई है।

एक समय था जब पंजाब पूरे देश के लिए कृषि और व्यापार का केंद्र था, लेकिन आज नशे और बेरोजगारी के कारण युवा पीढ़ी अपने भविष्य को अंधकार में देख रही है। कांग्रेस और AAP सरकारें इसे रोकने के बजाय केवल वोट बैंक की राजनीति में लगी हुई हैं। नशे के कारोबार को राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण यह समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है।

  1. धर्मांतरण पर सख्त कानून – जबरन या प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून बनाए जाएं।

  2. विदेशी फंडिंग की जांच – खालिस्तानी और ईसाई मिशनरी संगठनों को मिलने वाली विदेशी फंडिंग की गहन जांच होनी चाहिए।

  3. धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता सुनिश्चित करना – गुरुद्वारा और मंदिर समितियों को राजनीतिक दखल से मुक्त कराना जरूरी है।

  4. नशे के कारोबार पर रोक – ड्रग माफियाओं और उनके राजनीतिक संरक्षकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।

  5. राष्ट्रवादी ताकतों का समर्थन – पंजाब की मूल सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए राष्ट्रवादी संगठनों को सशक्त किया जाना चाहिए।

पंजाब को उसकी खोई हुई गरिमा लौटाने के लिए जरूरी है कि वहां के लोग राजनीतिक प्रपंच को समझें और राष्ट्रविरोधी ताकतों के षड्यंत्रों से सावधान रहें। धर्मांतरण और अलगाववाद की साजिशों को नाकाम करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करना ही पंजाब को पुनः समृद्ध और सुरक्षित बना सकता है।

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