दक्षिणापथ: युगों की यात्रा में भारत की गौरवशाली विरासत

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 मार्च।
हैदराबाद में 15 से 17 मार्च, 2025 तक आयोजित “दक्षिणापथ: युगों की यात्रा – भारत की महिमा” राष्ट्रीय संगोष्ठी एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वैभव का अनुपम संगम साबित हुई। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना (ABISY) और इतिहास संकलन समिति (भारतीय), तेलंगाना राज्य के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस तीन दिवसीय सम्मेलन ने प्राचीन दक्षिणापथ की समृद्ध विरासत को पुनः प्रतिष्ठित किया।

तेलंगाना राज्य सहकारी अपेक्स बैंक प्रशिक्षण केंद्र, राजेंद्रनगर, हैदराबाद में हुए उद्घाटन समारोह में तेलंगाना के माननीय राज्यपाल श्री जिष्णु देव वर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि संगोष्ठी की गरिमा को बढ़ाया। इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव श्री एल.वी. सुब्रह्मण्यम ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत की। उद्घाटन सत्र में इतिहासविद् डॉ. शरद हेबलकर के प्रबुद्ध वक्तव्य और प्रो. वाई. सुधर्शन राव के ऐतिहासिक विवेचन ने दक्षिणापथ की महिमा को रेखांकित किया।

पहले दिन के तकनीकी सत्रों में विभिन्न विषयों पर गहन चर्चा हुई। प्रमुख विद्वानों में डॉ. बालमुकुंद पांडेय, गिरिधर ममिडी, डॉ. अन्नादनम सुब्रह्मण्यम और न्यायमूर्ति भास्कर राव ने अपनी शोध प्रस्तुतियाँ दीं। इन सत्रों में साहित्य, चिकित्सा, खगोलशास्त्र, कला, गणित और दक्षिणापथ की ऐतिहासिक निरंतरता पर गहन मंथन हुआ।

दूसरे दिन भी विद्वानों की श्रृंखला जारी रही, जिसमें प्रो. वी. किशन राव, डॉ. राजा रेड्डी और प्रो. नागेंद्र राव जैसे प्रतिष्ठित विद्वानों ने सत्रों की अध्यक्षता की। इस दौरान डॉ. कुसुमा बाई, डॉ. सीमा उपाध्याय, डॉ. पी.वी. राधाकृष्णन सहित अन्य विद्वानों ने दक्षिणापथ के सामाजिक-सांस्कृतिक विकास पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए।

शाम होते ही संगोष्ठी ने एक सांस्कृतिक महोत्सव का रूप ले लिया। तेलंगाना के योद्धा नृत्य “पेरिणी नृत्यम” ने समा बांध दिया। इसके बाद मुसुनूरी राजवंश पर आधारित ऐतिहासिक नाट्य मंचन ने 14वीं शताब्दी में विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध संघर्ष की गौरवगाथा को जीवंत कर दिया।

17 मार्च को आयोजित भव्य समापन समारोह में ओडिशा के राज्यपाल डॉ. हरि बाबू कांभमपति ने मुख्य अतिथि के रूप में संगोष्ठी को गरिमा प्रदान की। इस अवसर पर इतिहासविद् प्रो. वाई. सुधर्शन राव, राष्ट्रीय महामंत्री (ABISY) महेन्द्र दत्त मजूमदार, और राष्ट्रीय सह संगठन सचिव (ABISY) श्री संजय कुमार मिश्रा ने भी अपने विचार रखे।

समापन समारोह में प्रो. वी. किशन राव ने तीन दिवसीय संगोष्ठी में हुए विमर्श का सार प्रस्तुत करते हुए दक्षिणापथ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

यह संगोष्ठी केवल एक शैक्षणिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह दक्षिणापथ की अविस्मरणीय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का एक सशक्त प्रयास था। विद्वानों और इतिहासकारों की उपस्थिति ने इसे एक अभूतपूर्व बौद्धिक समागम बना दिया।

इस संगोष्ठी में प्राप्त निष्कर्षों ने न केवल अतीत की गौरवगाथा को रेखांकित किया, बल्कि भविष्य में इस क्षेत्र के ऐतिहासिक शोध को और अधिक विस्तार देने का मार्ग प्रशस्त किया। दक्षिणापथ की समृद्ध परंपरा आज भी भारत की सभ्यता का एक अभिन्न हिस्सा बनी हुई है, और यह यात्रा यहीं समाप्त नहीं होती—बल्कि यह भारत के स्वर्णिम अतीत से उज्जवल भविष्य की ओर एक और कदम है।

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