भारतीय मूल की अमेरिकी छात्रा ने 100 साल पुराने गणितीय समस्या को हल किया, नई विंड टरबाइन डिजाइन की

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समग्र समाचार सेवा
पेनसिल्वेनिया,21 मार्च।
भारतीय मूल की एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ग्रेजुएट शोध छात्रा दिव्या त्यागी ने एक 100 साल पुराने गणितीय रहस्य को हल कर विज्ञान जगत में हलचल मचा दी है। पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में शोधरत त्यागी ने ब्रिटिश एयरोडायनामिसिस्ट हरमन ग्लौअर्ट द्वारा स्थापित सदियों पुराने एयरोडायनामिक्स समीकरणों को सरल बनाकर विंड टरबाइन डिजाइन में नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।

ग्लौअर्ट द्वारा 20वीं सदी की शुरुआत में प्रस्तावित यह समस्या विंड टरबाइन की दक्षता को समझने के लिए एक केंद्रीय अवधारणा रही है। दशकों से वैज्ञानिक इसे हल करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन यह चुनौती हमेशा जटिल बनी रही। त्यागी की सृजनात्मक सोच अब शोधकर्ताओं और इंजीनियरों के लिए टरबाइन प्रदर्शन को नए दृष्टिकोण से समझने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।

त्यागी ने अपने शोध में ग्लौअर्ट की मूल अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए विंड टरबाइन की अधिकतम एयरोडायनामिक दक्षता खोजने का प्रयास किया। उन्होंने इष्टतम वायु प्रवाह स्थितियों को हल करने के लिए गणितीय संरचना विकसित की, जिससे टरबाइन डिजाइन और दक्षता संबंधी अनुसंधान को सरल और प्रभावी बनाया जा सके।

“मैंने ग्लौअर्ट की समस्या का एक नया संस्करण विकसित किया है, जो विंड टरबाइन की अधिकतम दक्षता प्राप्त करने में मदद करता है। यह समाधान शोधकर्ताओं को नए दृष्टिकोण से अध्ययन करने और विशेष रूप से पवन ऊर्जा उत्पादन में नई संभावनाएं तलाशने का अवसर देता है,” त्यागी ने पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के एक बयान में कहा।

त्यागी के मेंटर और शोध सह-लेखक स्वेन श्मिट्ज़, जो पेन स्टेट के इंस्टीट्यूट ऑफ एनर्जी एंड द एनवायरनमेंट में प्रोफेसर हैं, ने उनके अनुसंधान की अनूठी विशेषताओं को उजागर किया।

ग्लौअर्ट के शोध ने पावर गुणांक (power coefficient) पर ध्यान केंद्रित किया था, जो यह बताता है कि एक विंड टरबाइन वायु ऊर्जा को कितनी कुशलता से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। दूसरी ओर, त्यागी का समाधान व्यापक दृष्टिकोण अपनाता है। उन्होंने उन बलों और क्षण गुणांकों (moment coefficients) पर भी ध्यान दिया, जो टरबाइन ब्लेड पर हवा के दबाव और झुकाव के प्रभाव को दर्शाते हैं—जो ग्लौअर्ट के अध्ययन में शामिल नहीं था।

“कल्पना करें कि आप अपनी हथेलियों को फैलाकर हवा में रखते हैं और कोई उस पर जोर लगाता है, तो आपको उस बल का सामना करना पड़ेगा। इसे ही डाउनविंड थ्रस्ट फोर्स और रूट बेंडिंग मोमेंट कहा जाता है, और विंड टरबाइन को भी इन्हीं बलों का सामना करना पड़ता है। ग्लौअर्ट ने इन कुल भारों की गणना नहीं की थी, लेकिन दिव्या ने इसे अपने शोध में जोड़ा,” श्मिट्ज़ ने समझाया।

त्यागी का शोध गणितीय भिन्नता कलन (Calculus of Variations) पर आधारित है, जो अनुकूलन (Optimization) समस्याओं के अध्ययन से संबंधित है। इस तकनीक ने शोधकर्ताओं को विंड टरबाइन डिजाइन को और अधिक सटीक और प्रभावी ढंग से जांचने का नया तरीका प्रदान किया है।

श्मिट्ज़ ने कहा, “इस खोज का वास्तविक प्रभाव भविष्य के विंड टरबाइन डिजाइन पर पड़ेगा। दिव्या का समाधान अब कक्षाओं में पढ़ाया जाएगा—राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर। उनका शोध दर्शाता है कि रचनात्मक समस्या-समाधान कैसे नवीकरणीय ऊर्जा के भविष्य को आकार दे सकता है।”

श्मिट्ज़ ने त्यागी की लगन और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि जब उन्होंने पहली बार ग्लौअर्ट की समस्या का अध्ययन किया, तो उन्होंने महसूस किया कि कुछ कदम अधूरे थे और समाधान जटिल बना दिया गया था।

“मुझे लगा कि इसे हल करने का एक आसान तरीका होना चाहिए। मैंने पहले तीन अन्य छात्रों को इसे हल करने के लिए कहा था, लेकिन वे पीछे हट गए। दिव्या चौथी छात्रा थीं और पहली जिन्होंने इसे स्वीकार किया—और उन्होंने इसे हल कर दिखाया। यह वास्तव में प्रभावशाली है,” श्मिट्ज़ ने कहा।

त्यागी, जिन्होंने वैमानिकी इंजीनियरिंग (Aeronautical Engineering) में स्नातक किया है, वर्तमान में पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री कर रही हैं। उनका शोध मुख्य रूप से कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनामिक्स (CFD) पर केंद्रित है, जो वायुप्रवाह प्रणालियों की दक्षता और सुरक्षा बढ़ाने में मदद करता है।

वर्तमान में, अमेरिकी नौसेना (U.S. Navy) द्वारा प्रायोजित एक अग्रणी परियोजना में वह हेलीकॉप्टर उड़ान सिमुलेशन और विमानन सुरक्षा को उन्नत करने पर काम कर रही हैं।

त्यागी द्वारा विकसित यह समाधान न केवल विंड टरबाइन डिजाइन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, बल्कि यह दर्शाता है कि नवाचार और वैज्ञानिक सोच कैसे जटिल इंजीनियरिंग समस्याओं को हल कर सकती है।

दुनिया जिस तेजी से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, त्यागी का शोध विंड एनर्जी सिस्टम्स की दक्षता और स्थिरता को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है।

“100 साल पुरानी गणितीय चुनौती को हल कर, दिव्या त्यागी ने यह साबित कर दिया कि नवाचार ही आधुनिक प्रौद्योगिकी की सबसे बड़ी शक्ति है—विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में।”
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