सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल, नागालैंड, मणिपुर और असम में सीमांकन के लिए केंद्र को तीन महीने का समय दिया

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 मार्च।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और असम में सीमांकन (डेलीमिटेशन) की प्रक्रिया पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनाया, जिसमें उन्होंने सरकारी पक्ष से तीन महीने का अतिरिक्त समय देने की अपील स्वीकार की।

कोर्ट ने डेलीमिटेशन प्रक्रिया में हो रही देरी पर चिंता जताते हुए कहा कि 2020 में राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए अधिसूचना के बाद इस प्रक्रिया में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने पूछा, “क्या सरकार के हस्तक्षेप की कोई जरूरत है? जब राष्ट्रपति अधिसूचना को रद्द कर चुके हैं, तो क्या यह प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकती?”

केंद्र सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में समन्वय और चर्चा जारी है, लेकिन मणिपुर में स्थिति गंभीर है, जहां अभी भी हिंसा जारी है। सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें डेलीमिटेशन डिमांड कमिटी ने नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में सीमांकन की तत्काल आवश्यकता जताई थी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जी. गंगमई ने अदालत में कहा कि 28 फरवरी, 2020 को राष्ट्रपति द्वारा जारी आदेश के अनुसार डेलीमिटेशन कानूनी रूप से अनिवार्य था, लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद अरुणाचल, नागालैंड और मणिपुर में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है। केवल असम में अगस्त 2023 तक डेलीमिटेशन पूरा हुआ है।

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने अदालत में कहा कि डेलीमिटेशन प्रक्रिया को शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से विशिष्ट निर्देश आवश्यक हैं, जैसा कि प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 21 जुलाई तक स्थगित कर दी है।

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