उत्तर-पूर्व में खाद उत्पादन को बढ़ावा: कैबिनेट ने नामरूप-IV यूरिया संयंत्र को दी मंजूरी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 मार्च। भारत सरकार ने नया ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया कॉम्प्लेक्स स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह संयंत्र असम के नामरूप स्थित ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (BVFCL) के मौजूदा परिसर में स्थापित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

12.7 लाख मीट्रिक टन (LMT) वार्षिक उत्पादन क्षमता वाले इस यूरिया संयंत्र की कुल अनुमानित लागत 10,601.40 करोड़ रुपये होगी। परियोजना को ऋण-इक्विटी अनुपात (70:30) के आधार पर संयुक्त उद्यम (JV) मॉडल में विकसित किया जाएगा। इसे न्यू इन्वेस्टमेंट पॉलिसी, 2012 और उसके 7 अक्टूबर 2014 के संशोधनों के तहत लागू किया जाएगा।

परियोजना के पूरा होने की अनुमानित समयसीमा 48 महीने निर्धारित की गई है।

सरकार ने इस परियोजना के लिए विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों और संगठनों की भागीदारी सुनिश्चित की है। प्रस्तावित JV के तहत इक्विटी वितरण इस प्रकार होगा:

भागीदार इक्विटी (%)
असम सरकार 40%
BVFCL (ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड) 11%
हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (HURL) 13%
नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) 18%
ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) 18%

BVFCL अपनी हिस्सेदारी भौतिक परिसंपत्तियों (tangible assets) के रूप में प्रदान करेगा।

कैबिनेट ने नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (NFL) को 18% इक्विटी भागीदारी की अनुमति देने के लिए Department of Public Enterprises (DPE) के दिशानिर्देशों में छूट दी है। इसके अलावा, परियोजना की निगरानी के लिए एक अंतःमंत्रालयी समिति (Inter-Ministerial Committee – IMC) गठित की जाएगी।

  1. घरेलू यूरिया उत्पादन क्षमता में वृद्धि: परियोजना से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में यूरिया उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
  2. कृषि क्षेत्र को होगा फायदा: यह संयंत्र विशेष रूप से उत्तर-पूर्व, बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड की बढ़ती यूरिया मांग को पूरा करेगा।
  3. ऊर्जा दक्षता में सुधार: नए नामरूप-IV संयंत्र में आधुनिक तकनीकों का उपयोग होगा, जिससे ऊर्जा की खपत कम होगी
  4. रोजगार के नए अवसर: संयंत्र की स्थापना से स्थानीय स्तर पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
  5. ‘आत्मनिर्भर भारत’ लक्ष्य की ओर कदम: यह परियोजना यूरिया के मामले में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे भारत की खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी

असम के नामरूप में नए यूरिया संयंत्र की स्थापना से पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के किसानों को सस्ता और सुलभ खाद मिल सकेगा। यह परियोजना कृषि क्षेत्र के विकास के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी। सरकार की इस पहल से देश की उर्वरक उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती मिलेगी

 

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