भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की दिशा में बढ़ते कदम, रणनीतिक साझेदारी होगी निर्णायक

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली/वाशिंगटन ,19 मार्च।
भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित व्यापार समझौता अब हकीकत बनने की ओर बढ़ सकता है। दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी और भू-राजनीतिक मजबूरियां इस समझौते को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

अमेरिकी प्रशासन ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत को एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा है। हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का झुकाव विचारधारात्मक रूप से शी जिनपिंग, व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन के करीब माना जाता था, जिससे यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका के संबंधों में खटास आई। इसके बावजूद, भारत के साथ व्यापारिक और रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करने की प्राथमिकता बरकरार रही

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लटनिक ने भारत के कृषि बाजार को खोलने की अनिवार्यता पर जोर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कृषि क्षेत्र को व्यापार वार्ताओं से अलग नहीं रखा जा सकता। लटनिक ने उत्पाद-विशिष्ट समझौतों के बजाय एक व्यापक व्यापार समझौते की वकालत की है, जिसमें भारत की टैरिफ नीति को अमेरिका के अनुरूप लाने पर जोर दिया गया है।

अगर भारत और अमेरिका इस व्यापार समझौते पर सहमति बना लेते हैं, तो यह न केवल द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देगा बल्कि वैश्विक व्यापार संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, भारत-अमेरिका सहयोग एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में भी सहायक साबित हो सकता है।

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