रमजान में शमी के एनर्जी ड्रिंक पीने पर विवाद: कुरान और हदीस में इन 6 हालात में मिलती है रोजे से छूट

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 मार्च।
भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी के एनर्जी ड्रिंक पीने को लेकर रमजान के दौरान एक नया विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे रोज़े के नियमों के उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं, तो कुछ इस बहस में कुरान और हदीस के आधार पर छूट के प्रावधानों को भी सामने रख रहे हैं।

रोज़े का महत्व और इस्लामी नियम

रमजान इस्लाम धर्म में पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें रोज़ा (उपवास) रखना एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य होता है। रोज़े के दौरान सुबह से शाम तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है, लेकिन इस्लामी ग्रंथों में कुछ परिस्थितियों में रोज़ा न रखने की छूट दी गई है।

ये 6 परिस्थितियाँ जिनमें रोज़े से छूट मिलती है

  1. बीमारी (मरीज होने पर)
    यदि कोई व्यक्ति बीमार है और उपवास रखने से उसकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है, तो कुरान और हदीस के अनुसार उसे रोज़ा न रखने की अनुमति दी गई है। इसके बदले वह बाद में क़ज़ा रोज़ा रख सकता है या जरूरतमंदों को भोजन खिलाने का प्रावधान है।

  2. यात्रा (मुसाफिर होने पर)
    यदि कोई व्यक्ति सफर में है और उसे कठिनाई हो सकती है, तो उसे रोज़ा छोड़ने की अनुमति है। इस्लामी नियमों के तहत यह छूट विशेषकर लंबी दूरी की यात्रा करने वालों के लिए दी गई है।

  3. गर्भावस्था और स्तनपान
    गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली माताओं को रोज़े से छूट दी गई है, यदि वे महसूस करें कि उपवास उनके या उनके बच्चे की सेहत पर असर डाल सकता है। इस स्थिति में बाद में क़ज़ा रोज़ा रखना होता है।

  4. अत्यधिक शारीरिक कमजोरी
    यदि कोई व्यक्ति बहुत बुजुर्ग है या अत्यधिक शारीरिक कमजोरी के कारण उपवास नहीं रख सकता, तो उसके लिए इस्लाम में विशेष रियायत दी गई है। वह रोज़े की भरपाई फिद्या (दान) देकर कर सकता है।

  5. मज़बूरी या जीवन संकट की स्थिति
    यदि कोई ऐसी परिस्थिति आ जाए जिसमें रोज़ा रखने से व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है, जैसे कोई गंभीर बीमारी, अत्यधिक गर्मी या निर्जलीकरण जैसी स्थिति, तो इस्लाम में उसे छूट दी गई है।

  6. जबरदस्ती या मजबूरी में रोज़ा न रख पाना
    यदि किसी को किसी दबाव, युद्ध या जीवन-मरण की स्थिति में रोज़ा तोड़ना पड़ जाए, तो इस्लाम में इसे मजबूरी समझकर बाद में क़ज़ा रोज़ा रखने की छूट दी गई है।

मोहम्मद शमी के मामले पर क्या कहना सही?

यदि मोहम्मद शमी ने एनर्जी ड्रिंक किसी मजबूरी या मेडिकल जरूरत के कारण पीया होगा, तो इसे इस्लामी शिक्षाओं के तहत समझने की जरूरत है। हर व्यक्ति की व्यक्तिगत स्थिति को देखते हुए कोई निर्णय लेना चाहिए, न कि केवल आलोचना करनी चाहिए।

निष्कर्ष

इस्लाम में रोज़ा रखना एक महत्वपूर्ण इबादत है, लेकिन कुरान और हदीस में ऐसी परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है, जिनमें व्यक्ति को छूट मिल सकती है। किसी के बारे में बिना पूरी जानकारी के राय बनाना उचित नहीं है। धार्मिक मामलों में सहिष्णुता और समझदारी से विचार करना ही सही दृष्टिकोण होगा।

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