समग्र समाचार सेवा
जबलपुर,3 मार्च। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नर्मदा नदी के संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि नर्मदा नदी के तट से 300 मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। हाईकोर्ट के इस सख्त आदेश के बाद नर्मदा किनारे हो रहे अनधिकृत निर्माणों पर पूरी तरह रोक लग गई है।
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
हाईकोर्ट ने नर्मदा नदी के किनारे हो रहे अवैध निर्माणों और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया कि 300 मीटर के दायरे में किए गए सभी अवैध निर्माणों की जांच की जाए और जरूरत पड़ने पर उन्हें हटाया जाए।
निर्णय की मुख्य बातें
नर्मदा तट के 300 मीटर के दायरे में कोई नया निर्माण नहीं होगा
अवैध निर्माणों की जांच के आदेश
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई होगी
सरकार को नर्मदा नदी की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश
क्यों लिया गया यह फैसला?
नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की जीवनरेखा मानी जाती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अवैध अतिक्रमण, निर्माण कार्यों और प्रदूषण की वजह से नदी का स्वरूप बिगड़ रहा था। इस मामले में कई पर्यावरण प्रेमियों और संगठनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नर्मदा नदी के संरक्षण की मांग की थी।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ी
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राज्य सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ गई है। उन्हें सुनिश्चित करना होगा कि नर्मदा नदी के तट पर अवैध निर्माण न हों और नदी का प्राकृतिक प्रवाह बना रहे।
नर्मदा संरक्षण के लिए आगे क्या होगा?
- प्रशासन अवैध निर्माणों की सूची तैयार करेगा
- नर्मदा नदी के आसपास अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाएगा
- नदी की स्वच्छता और संरक्षण के लिए सख्त कानून लागू किए जाएंगे
- जनता को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाएंगे
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला नर्मदा नदी को बचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इससे न केवल नदी का प्राकृतिक संतुलन बना रहेगा, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान से बचाया जा सकेगा। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस आदेश को कितनी गंभीरता से लागू करती है और नर्मदा संरक्षण को लेकर आगे क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।