समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,22 फरवरी। भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित करने की साजिशें कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस और कांग्रेस द्वारा फैलाए गए अमेरिकी डॉलर से जुड़े फेक न्यूज के प्रयासों पर वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप भंडारी ने सटीक और सशक्त जवाब दिया है। उन्होंने न केवल इन दावों की पोल खोली बल्कि यह भी बताया कि कैसे विदेशी ताकतें भारतीय चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं।
फेक न्यूज का मकसद क्या था?
इंडियन एक्सप्रेस और कांग्रेस ने हाल ही में यह प्रचार किया कि भारतीय चुनावों में अमेरिका से भारी मात्रा में डॉलर आ रहे हैं, जिसका इस्तेमाल किसी खास राजनीतिक दल के पक्ष में किया जा सकता है। लेकिन प्रदीप भंडारी ने तथ्यों के साथ बताया कि यह पूरी तरह एक झूठा नैरेटिव था, जिसे सिर्फ जनता को गुमराह करने और सरकार की छवि खराब करने के लिए गढ़ा गया था।
लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा
अगर इस तरह की फर्जी खबरों को फैलाने से नहीं रोका गया तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बन सकता था। फेक न्यूज न केवल जनता की सोच को प्रभावित करती है, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अविश्वास भी पैदा कर सकती है। प्रदीप भंडारी ने इस मामले में स्पष्ट किया कि यह पूरी रणनीति चुनावी हस्तक्षेप को लेकर भ्रम फैलाने के लिए रची गई थी।
ट्रंप के आने से खतरा टला, लेकिन खतरा अभी बाकी
प्रदीप भंडारी ने यह भी कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा उभरने से फिलहाल यह खतरा टल गया है, क्योंकि ट्रंप की नीतियां भारत-विरोधी एजेंडे वाले एनजीओ नेटवर्क को बढ़ावा नहीं देतीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि खतरा पूरी तरह खत्म हो गया है।
एनजीओ नेटवर्क अब भी सक्रिय
भारत में विभिन्न विदेशी फंडेड एनजीओ नेटवर्क अब भी काम कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य देश में अस्थिरता फैलाना और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करना है। भंडारी ने चेतावनी दी कि जब तक इन संगठनों पर पूरी तरह से शिकंजा नहीं कसा जाता, तब तक इस तरह की साजिशें चलती रहेंगी।
निष्कर्ष
प्रदीप भंडारी का यह जवाब दिखाता है कि कैसे भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए सुनियोजित दुष्प्रचार चलाया जाता है। ट्रंप की वापसी से कुछ हद तक राहत जरूर मिली है, लेकिन भारत को अभी भी विदेशी हस्तक्षेप और फेक न्यूज के ख़िलाफ़ सतर्क रहने की जरूरत है।
 
			