क्यों है माघ पूर्णिमा महाकुंभ स्नान के लिए सबसे पवित्र दिन? जानें महत्व और धार्मिक मान्यता

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,13 फरवरी।
माघ पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है, विशेष रूप से महाकुंभ और अन्य धार्मिक स्नानों के संदर्भ में। यह दिन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है, बल्कि इसे मोक्ष प्राप्ति और पुण्य अर्जन का भी श्रेष्ठ अवसर माना जाता है। आइए जानते हैं कि माघ पूर्णिमा को महाकुंभ स्नान के लिए सबसे पवित्र दिन क्यों माना जाता है और इसके धार्मिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक पहलू क्या हैं।

माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

माघ मास की पूर्णिमा को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, क्योंकि यह दिन देवताओं को समर्पित होता है। हिंदू धर्मग्रंथों में इस दिन को स्नान, दान और तपस्या के लिए सर्वोत्तम बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन किए गए स्नान और दान से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है।

पुराणों के अनुसार, माघ माह में संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती) में स्नान करने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है और मनुष्य को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। इसी कारण महाकुंभ और अर्धकुंभ के दौरान माघ पूर्णिमा का स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है।

महाकुंभ में माघ पूर्णिमा स्नान का विशेष महत्व

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्ष में एक बार हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है। इस दौरान विभिन्न शुभ मुहूर्तों में स्नान किया जाता है, लेकिन माघ पूर्णिमा का स्नान सबसे प्रमुख माना जाता है

इस दिन स्नान करने के पीछे तीन प्रमुख कारण माने जाते हैं –

  1. पौराणिक मान्यता:
    मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए इस दिन इन नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है

  2. ऋषियों और तपस्वियों का संगम:
    माघ मास में हजारों संत, साधु और तपस्वी गंगा किनारे कल्पवास करते हैं और इस दिन को आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का दिन मानते हैं। यह दिन साधना, भक्ति और दान-पुण्य के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

  3. ग्रहों और खगोलीय स्थितियों का प्रभाव:
    धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा विशेष खगोलीय संयोग में होते हैं, जो मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए लाभकारी होते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से भी, इस समय सूर्य की ऊर्जा जल में विशेष शक्ति प्रदान करती है, जिससे स्नान करने से शरीर और मन को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

माघ पूर्णिमा स्नान के लाभ

  1. पापों से मुक्ति: इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं
  2. मोक्ष की प्राप्ति: हिंदू धर्म में माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से अगले जन्म में मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है।
  3. धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: यह दिन पूजा, दान और तपस्या के लिए श्रेष्ठ है, जिससे व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  4. मानसिक और शारीरिक शुद्धि: वैज्ञानिक रूप से भी इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से तनाव कम होता है, रोगों से मुक्ति मिलती है और मन को शांति मिलती है

कैसे करें माघ पूर्णिमा स्नान और पूजा?

  1. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
  2. स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और भगवान विष्णु एवं शिवजी की पूजा करें।
  3. गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें, विशेष रूप से अन्न, वस्त्र और तिल का दान शुभ माना जाता है।
  4. इस दिन हवन और मंत्र जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

माघ पूर्णिमा को महाकुंभ स्नान के लिए सबसे पवित्र दिन इसलिए माना जाता है क्योंकि यह दिन आध्यात्मिक, धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से विशेष होता है। इस दिन किया गया स्नान और दान सर्वोत्तम पुण्य फल प्रदान करता है और आत्मशुद्धि के साथ मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। यदि संभव हो तो इस पवित्र दिन पर गंगा स्नान और दान करके पुण्य लाभ अवश्य प्राप्त करें।

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