महापौर द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 फरवरी।
आज प्रातःकाल, इंदौर के महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि के अवसर पर बिलावली झोन उद्यान में स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर नगर के अनेक गणमान्य नागरिकों, जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ नेताओं ने भी उपस्थित होकर उपाध्याय जी के योगदान को याद किया और उनके सिद्धांतों का अनुसरण करने का संकल्प लिया।

गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति

महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव के साथ इस कार्यक्रम में पूर्व महापौर श्री कृष्ण मुरारी मोघे, भाजपा नगर अध्यक्ष श्री सुमित मिश्रा, विधायक श्री मधु वर्मा, श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़, महापौर परिषद सदस्य श्री अभिषेक शर्मा, श्री निरंजन सिंह चौहान, श्री अश्विनी शुक्ल, पार्षद श्रीमती सुनीता सुनील हडिया, श्री प्रशांत बडवे, श्रीमती कंचन गिद्ववानी सहित अन्य वरिष्ठ जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। सभी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प

इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यजनों ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों और सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने एकात्म मानववाद और अंत्योदय की उनकी विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जीवन समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के प्रति समर्पित था।

महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव ने अपने संबोधन में कहा, “पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया। उनकी विचारधारा हमें यह सिखाती है कि राष्ट्र की प्रगति तभी संभव है जब समाज के सबसे वंचित व्यक्ति का भी विकास हो।”

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने उनके जीवन, विचारधारा और राष्ट्रहित में किए गए योगदान को विस्तार से प्रस्तुत किया। साथ ही, उपस्थित सभी लोगों ने उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने और उनके सिद्धांतों के अनुरूप समाज निर्माण करने का आह्वान किया।

निष्कर्ष

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में इंदौर के नागरिकों ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। यह आयोजन समाज में उनके विचारों को पुनर्जीवित करने और भारतीय संस्कृति व राष्ट्रवाद के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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