ट्रंप को BRICS पसंद नहीं, पुतिन को QUAD… भारत कैसे बनाएगा इन दोनों के बीच बैलेंस?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 फरवरी।
विश्व राजनीति में महाशक्तियों के बीच बदलते समीकरणों के बीच भारत की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। एक तरफ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) जैसे गुटों को पसंद नहीं करते, तो दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) जैसे पश्चिमी गठबंधनों को संदेह की नजर से देखते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत इन दोनों ताकतवर नेताओं और उनके रणनीतिक एजेंडों के बीच कैसे संतुलन बनाएगा?

ट्रंप को BRICS से आपत्ति क्यों है?

डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति हमेशा से ‘अमेरिका फर्स्ट’ पर केंद्रित रही है। वे बहुपक्षीय संगठनों की बजाय द्विपक्षीय समझौतों को प्राथमिकता देते हैं। BRICS उनके लिए इसलिए भी परेशानी का कारण है क्योंकि:

  • इस समूह में रूस और चीन जैसे अमेरिका विरोधी देश प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
  • BRICS डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए एक वैकल्पिक मुद्रा व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है।
  • BRICS में ईरान, सऊदी अरब, और अन्य तेल उत्पादक देशों को शामिल करने की योजना है, जिससे अमेरिका की वैश्विक आर्थिक पकड़ कमजोर हो सकती है।

क्या ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर BRICS को खतरा होगा?

अगर ट्रंप 2024 में फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे BRICS के खिलाफ आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बढ़ा सकते हैं। भारत के लिए यह चुनौती होगी क्योंकि वह इस समूह का एक अहम सदस्य है और उसे अमेरिका के साथ अपने रिश्ते भी बनाए रखने हैं।

पुतिन को QUAD से परेशानी क्यों?

रूस की नजर में QUAD एक ‘एशियाई नाटो’ बनने की ओर बढ़ रहा है, जिसका मकसद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन और रूस के प्रभाव को कम करना है। पुतिन को QUAD से ये दिक्कतें हैं:

  • यह अमेरिका के नेतृत्व वाला गठबंधन है, जिसमें भारत भी शामिल है।
  • QUAD हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रूस और चीन के हितों को कमजोर कर सकता है।
  • अगर QUAD का सैन्यकरण होता है, तो यह रूस के लिए नई रणनीतिक चुनौती बन सकता है।

रूस चाहता है कि भारत QUAD से दूरी बनाए रखे

रूस पहले ही भारत को QUAD में अपनी भूमिका को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दे चुका है। पुतिन नहीं चाहते कि भारत अमेरिकी नेतृत्व वाले किसी भी ऐसे समूह का हिस्सा बने जो रूस की एशिया में स्थिति को कमजोर करे।

भारत का संतुलन बनाने का प्रयास

भारत हमेशा स्वतंत्र विदेश नीति पर ज़ोर देता आया है और वह किसी भी गुटबाजी का हिस्सा नहीं बनना चाहता। लेकिन जब एक तरफ अमेरिका-यूरोप का QUAD और दूसरी तरफ रूस-चीन का BRICS हो, तो भारत के लिए संतुलन बनाना आसान नहीं है।

भारत की रणनीति क्या हो सकती है?

  1. अमेरिका और रूस दोनों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखना – भारत रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, और तकनीक के क्षेत्र में दोनों देशों के साथ अपनी साझेदारी जारी रखेगा।
  2. BRICS में सक्रिय भूमिका निभाना, लेकिन पश्चिम को नाखुश न करना – भारत BRICS में अपनी स्थिति मजबूत रखेगा, लेकिन वह चीन और रूस के किसी ऐसे कदम का समर्थन नहीं करेगा जो अमेरिका और यूरोप के खिलाफ हो।
  3. QUAD में अपनी भूमिका को ‘सुरक्षा सहयोग’ तक सीमित रखना – भारत QUAD को सैन्य गठबंधन बनाने के बजाय इसे आर्थिक और तकनीकी सहयोग तक सीमित रखना चाहता है।
  4. नॉन-अलाइंड डिप्लोमेसी (गुटनिरपेक्षता) को फिर से ज़िंदा करना – भारत अपनी ‘मल्टी-अलाइनमेंट’ नीति पर चलते हुए दोनों पक्षों से समान दूरी बनाए रखेगा।

भारत के लिए क्या होगा असली इम्तिहान?

  • अगर ट्रंप BRICS के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हैं, तो भारत को बिना अमेरिका को नाराज किए BRICS में अपनी स्थिति मजबूत रखनी होगी।
  • अगर पुतिन QUAD को अमेरिका का प्रोजेक्ट मानकर भारत से नाराज होते हैं, तो भारत को यह समझाना होगा कि QUAD का मकसद चीन की विस्तारवादी नीति को रोकना है, न कि रूस के खिलाफ काम करना।

निष्कर्ष

भारत को अमेरिका और रूस दोनों के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखना होगा। ट्रंप की BRICS विरोधी नीति और पुतिन की QUAD के प्रति नाराजगी के बावजूद भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने की पूरी कोशिश करेगा। भारत की कूटनीति का असली इम्तिहान 2024 के अमेरिकी चुनावों के बाद शुरू होगा, जब वैश्विक समीकरण एक बार फिर बदलेंगे।

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