समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4 फरवरी। हरियाणा की राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद सुर्खियों में है, जिसमें प्रदेश के ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री नायब सैनी आमने-सामने नजर आ रहे हैं। इस विवाद के केंद्र में हैं आशीष तायल, जिनकी मुख्यमंत्री सैनी से नजदीकी पर अनिल विज ने गंभीर सवाल उठाए हैं।
कौन हैं आशीष तायल?
आशीष तायल हरियाणा के अंबाला जिले के एक प्रमुख भाजपा कार्यकर्ता हैं। उन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर खुद को अंबाला जिला भाजपा का कोषाध्यक्ष बताया है। तायल की मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, जो उनकी नजदीकी को दर्शाती हैं।
विवाद की जड़: चित्रा सरवारा से संबंध
विवाद तब शुरू हुआ जब अनिल विज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें आशीष तायल चित्रा सरवारा के साथ नजर आ रहे हैं। चित्रा सरवारा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में अंबाला से भाजपा के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। विज ने इस पोस्ट में सवाल उठाया कि तायल, जो खुद को मुख्यमंत्री का करीबी बताते हैं, भाजपा विरोधी उम्मीदवार के साथ कैसे जुड़े हुए हैं।
“आशीष तायल जो खुद को नायब सैनी का मित्र बताते हैं, उनकी फेसबुक पर नायब सैनी के साथ अनेक चित्र मौजूद हैं। आशीष तायल के साथ विधानसभा चुनाव के दौरान जो कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं, वही कार्यकर्ता चित्रा सरवारा भाजपा की विरोधी उम्मीदवार के साथ भी नजर आ रहे हैं। ये रिश्ता क्या कहलाता है?”
— अनिल विज, एक्स पोस्ट
अनिल विज की नाराजगी
अनिल विज ने इस मुद्दे को उठाते हुए मुख्यमंत्री नायब सैनी पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा है। उन्होंने सवाल किया है कि जब तायल मुख्यमंत्री के करीबी हैं, तो वे भाजपा विरोधी गतिविधियों में कैसे शामिल हो सकते हैं। विज की इस पोस्ट के बाद हरियाणा की राजनीति में हलचल मच गई है।
मुख्यमंत्री नायब सैनी की प्रतिक्रिया
इस विवाद पर मुख्यमंत्री नायब सैनी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद सरकार के भीतर गहरे मतभेदों को उजागर करता है।
निष्कर्ष
हरियाणा सरकार में चल रहा यह विवाद सत्ता के गलियारों में बढ़ते तनाव को दर्शाता है। आशीष तायल की भूमिका और उनकी मुख्यमंत्री से नजदीकी पर उठे सवालों ने भाजपा के भीतर आंतरिक कलह को उजागर किया है। अब देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इस मुद्दे को कैसे सुलझाता है और क्या यह विवाद सरकार के कामकाज पर असर डालेगा।