1 मौत, 16 वेंटिलेटर पर… पुणे में फैल रही वो बीमारी जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट की जान गई थी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 जनवरी।
पुणे में एक नई बीमारी ने स्वास्थ्य विभाग और नागरिकों में हलचल मचा दी है। इस बीमारी ने अब तक 1 व्यक्ति की जान ले ली है और 16 अन्य लोगों को वेंटिलेटर पर भेज दिया गया है। यह बीमारी, जिसे ‘पोलियो’ के नाम से जाना जाता है, अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट की भी जान ले चुकी थी। अब यह बीमारी पुणे में फिर से अपने पैर पसारने लगी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है।

पोलियो: एक खतरनाक बीमारी

पोलियो, जिसे ‘पोलियोमाइलिटिस’ भी कहा जाता है, एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह वायरस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के तंत्रिका कोशिकाओं पर हमला करता है और कभी-कभी स्थायी पक्षाघात का कारण बन सकता है। यह संक्रमण वायु, पानी, या अन्य प्रदूषित चीजों के माध्यम से फैलता है। पोलियो का सबसे खतरनाक रूप तब सामने आता है जब यह वायरस श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे मरीज को सांस लेने में कठिनाई होती है और वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है।

पुणे में फैलने की स्थिति

पुणे में पोलियो के मामलों में अचानक वृद्धि ने स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 1 व्यक्ति की मौत हो चुकी है और 16 अन्य को वेंटिलेटर पर रखा गया है। इस बीमारी की शुरुआत के बाद से स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संक्रमित क्षेत्रों को अलग कर दिया है और मरीजों का इलाज शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इस बीमारी की रोकथाम नहीं की गई, तो यह महामारी का रूप भी ले सकती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट की मौत

यह बीमारी 20वीं सदी के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली नेताओं में से एक, अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट की भी जान ले चुकी थी। 1921 में, 39 साल की उम्र में पोलियो ने रूजवेल्ट को लकवाग्रस्त कर दिया था और उन्होंने जीवन के बाकी दिन व्हीलचेयर पर बिताए। हालांकि उन्होंने कभी भी सार्वजनिक जीवन से हटने का विचार नहीं किया और अमेरिकी राजनीति में अपनी भूमिका निभाई, लेकिन पोलियो के प्रभाव के कारण उनकी मृत्यु 1945 में हुई। उनकी मौत पोलियो की गंभीरता को और भी उजागर करती है।

पोलियो के टीके का महत्व

पोलियो के मामलों की बढ़ती संख्या ने यह साबित कर दिया है कि पोलियो से बचाव के लिए टीकाकरण कितना महत्वपूर्ण है। भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पोलियो eradication अभियान में काफी मेहनत की है, और पोलियो को समाप्त करने के प्रयासों में बड़ी सफलता हासिल की थी। पोलियो से बचाव के लिए बच्चों को नियमित रूप से पोलियो ड्रॉप्स दिए जाते हैं, लेकिन हालिया मामलों से यह स्पष्ट हो गया है कि पूरी तरह से इसके eradication की दिशा में अभी और मेहनत की जरूरत है।

पुणे में क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

पुणे में पोलियो के मामलों के बढ़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। संक्रमित क्षेत्रों को चिह्नित कर वहां मेडिकल टीम भेजी गई है, ताकि और लोगों तक संक्रमण न पहुंचे। इसके साथ ही, लोगों को पोलियो के लक्षणों और बचाव के उपायों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह भी कहा है कि पोलियो से बचाव के लिए बच्चों को जल्दी से जल्दी टीकाकरण करवाना जरूरी है, ताकि इस बीमारी को और फैलने से रोका जा सके।

निष्कर्ष

पुणे में पोलियो के बढ़ते मामलों ने यह साबित कर दिया है कि हम पोलियो के खिलाफ पूरी तरह से सतर्क और जागरूक नहीं हैं। यह बीमारी न केवल शारीरिक रूप से खतरनाक है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी गंभीर परिणाम ला सकती है। इसे नियंत्रण में लाने के लिए हमें पोलियो के टीकाकरण अभियान को मजबूत करने और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। साथ ही, समाज में पोलियो के लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाना भी बेहद महत्वपूर्ण है।

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