अश्विनी उपाध्याय की याचिका से कांग्रेस का असली चेहरा उजागर

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,21 जनवरी।
कांग्रेस पार्टी को अश्विनी उपाध्याय की याचिका के चलते सुप्रीम कोर्ट में स्थानों के उपासना अधिनियम (Places of Worship Act) के समर्थन में आना पड़ा, जिससे कांग्रेस का तथाकथित “धर्मनिरपेक्ष” मुखौटा उतर गया। कांग्रेस का चेहरा अब मुस्लिम लीग की विचारधारा जैसा नजर आने लगा है। यह अधिनियम, जो 1991 में पारित हुआ था, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की स्थिति को जस का तस बनाए रखने का निर्देश देता है। इस याचिका ने कांग्रेस की आजादी के बाद से अब तक की राजनीति और वोट बैंक की रणनीति को उजागर कर दिया है।

मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति

अश्विनी उपाध्याय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में इस अधिनियम को चुनौती दी गई है। इस पर प्रतिक्रिया में तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), AIMIM, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) सहित कई पार्टियों ने इसका विरोध किया। कांग्रेस भी इन पार्टियों के साथ खड़ी हुई है।

कांग्रेस, जो खुद को धर्मनिरपेक्ष पार्टी कहती थी और हिंदू मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास करती थी, अब इस याचिका पर अपनी स्थिति के कारण दुविधा में है।

  1. दुविधा की स्थिति:
    • यदि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में इन पार्टियों की तरह इस अधिनियम का समर्थन करती है, तो उसका “हिंदू-विरोधी” चेहरा उजागर हो जाता है।
    • यदि वह विरोध नहीं करती, तो उसका मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का खतरा है।
  2. कांग्रेस का फैसला:
    आखिरकार, कांग्रेस ने 70 वर्षों के अपने “धर्मनिरपेक्ष” मुखौटे को हटाकर मुस्लिम लीग की विचारधारा के समान खुलकर सामने आने का निर्णय लिया। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है कि बाबर, हुमायूं, तुगलक, गजनी, गौरी और औरंगज़ेब द्वारा नष्ट किए गए मंदिरों के सर्वेक्षण की अनुमति न दी जाए और स्थानों के उपासना अधिनियम को जस का तस रखा जाए।

कांग्रेस के वरिष्ठ वकील मैदान में

कांग्रेस ने अपने शीर्ष वकीलों, जिनमें कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद, राजू रामचंद्रन, दुष्यंत दवे, संजय हेगड़े और प्रशांत भूषण शामिल हैं, को सुप्रीम कोर्ट में इस अधिनियम का समर्थन करने के लिए उतारा है। यह कदम स्पष्ट रूप से कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक को साधने की रणनीति का हिस्सा है।

हिंदू मतदाताओं के लिए संदेश

अश्विनी उपाध्याय ने इस याचिका के जरिए कांग्रेस की सच्चाई को हिंदू मतदाताओं के सामने ला दिया है। सवाल यह है कि कांग्रेस के हिंदू नेता और वोटर अब क्या निर्णय लेते हैं।

काशी-मथुरा की उम्मीदें अधिनियम पर निर्भर

जब तक स्थानों के उपासना अधिनियम लागू है, तब तक काशी, मथुरा, संभल जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को वापस पाने की संभावना कम है। यह अधिनियम इन स्थलों की स्थिति को जस का तस बनाए रखने की वकालत करता है, जिससे मंदिरों के पुनर्निर्माण का रास्ता बंद हो जाता है।

निष्कर्ष

यह मुद्दा अब सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का भी बन गया है। कांग्रेस और अन्य पार्टियों के रुख ने हिंदू मतदाताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उनके लिए सही विकल्प कौन है। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका के माध्यम से कांग्रेस की विचारधारा और वोट बैंक की राजनीति को उजागर कर दिया है। अब यह जनता पर निर्भर करता है कि वह इस सच्चाई को कैसे देखती है और भविष्य में क्या फैसला करती है।

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