सुप्रीम कोर्ट का जबरन विवाह पर बड़ा फैसला: पत्नी को नहीं माना गुजारे भत्ते का हकदार

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 जनवरी।
सुप्रीम कोर्ट ने जबरन विवाह के मामलों को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी महिला का विवाह उसकी सहमति के बिना जबरदस्ती किया गया है, तो उसे गुजारे भत्ते का हकदार नहीं माना जाएगा।

क्या है मामला?

यह मामला एक व्यक्ति और उसकी पत्नी के बीच विवाद का था। पत्नी ने अपने पति पर गुजारे भत्ते की मांग की थी, जबकि पति ने यह दावा किया कि उनका विवाह जबरन हुआ था और वह वैध नहीं है। यह मामला निचली अदालत से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां इस पर अंतिम फैसला सुनाया गया।

सुप्रीम कोर्ट का तर्क

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाह एक वैधानिक और सामाजिक संबंध है, जो दोनों पक्षों की सहमति से ही मान्य होता है। अगर विवाह बिना सहमति के या जबरदस्ती हुआ है, तो इसे वैध नहीं माना जा सकता। ऐसी स्थिति में पत्नी को गुजारे भत्ते का अधिकार नहीं होगा, क्योंकि वैवाहिक संबंध ही कानूनी रूप से स्थापित नहीं हुआ है।

फैसले का महत्व

यह फैसला उन मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण नजीर है, जहां विवाह सहमति के बिना हुआ हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में महिला के अन्य कानूनी अधिकार बरकरार रहेंगे, लेकिन वह गुजारे भत्ते का दावा नहीं कर सकती।

विवाह में सहमति की अहमियत

इस फैसले से यह संदेश दिया गया है कि विवाह जैसे महत्वपूर्ण संबंध में दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य है। जबरदस्ती किया गया विवाह न केवल अवैध है, बल्कि यह महिला और पुरुष दोनों के अधिकारों का उल्लंघन है।

न्यायपालिका की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए एक बड़ा राहत है, जो जबरन विवाह का शिकार हुए हैं। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक सख्त कदम है।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय समाज में विवाह की वैधता और सहमति के महत्व को रेखांकित करता है। यह फैसला उन मामलों में स्पष्टता लाएगा, जहां जबरन विवाह को लेकर कानूनी विवाद उत्पन्न होते हैं। यह भारतीय न्याय व्यवस्था में एक नई मिसाल कायम करेगा।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.