भारत से पंगा, खालिस्तानी प्रोपगेंडा और ट्रंप का कोप… कनाडा में ट्रूडो का ऐसे हुआ गेम फिनिश!

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,6 जनवरी।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए एक कठिन समय आया है, और उनके नेतृत्व को लेकर बढ़ती आलोचनाओं ने अब उनके इस्तीफे का रास्ता खोल दिया है। भारत से पंगा, खालिस्तानी प्रोपगेंडा और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से आए हमले जैसे कई मुद्दों ने ट्रूडो की राजनीति को पूरी तरह से प्रभावित किया। इन सभी विवादों के कारण उनकी सरकार की छवि धूमिल हुई और अंततः उन्हें इस्तीफा देने का ऐलान करना पड़ा। आइए जानते हैं कि कैसे ये घटनाएं ट्रूडो की राजनीति की गिरावट का कारण बनीं।

भारत से पंगा – खालिस्तानी मुद्दा

जस्टिन ट्रूडो की सरकार का सबसे बड़ा विवाद खालिस्तानी अलगाववादियों के प्रति नरम रुख रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, ट्रूडो की सरकार ने खालिस्तानी समर्थकों को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों को नजरअंदाज किया था, जिसका भारतीय सरकार और भारत के नागरिकों ने कड़ा विरोध किया। भारत ने कनाडा पर आरोप लगाया कि वह खालिस्तानी आतंकवादियों को संरक्षण देता है और उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता। इस मुद्दे ने भारत-कनाडा रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा।

  • भारतीय विरोध: भारतीय नेताओं ने ट्रूडो को सार्वजनिक रूप से आलोचना की, और भारत में कई प्रदर्शन हुए। भारतीय समुदाय ने भी कनाडा में इस प्रकार की गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई, जिससे ट्रूडो की सरकार की छवि और कमजोर हुई।

खालिस्तानी प्रोपगेंडा – विदेश नीति में असफलता

खालिस्तानी प्रोपगेंडा को लेकर कनाडा की विदेश नीति लगातार सवालों के घेरे में रही है। ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा ने खालिस्तान समर्थकों के प्रति अपनी सहमति जताई और इसे राजनीतिक अधिकार बताया। हालांकि, यह कदम कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों के लिए कड़ा संदेश नहीं था।

  • विदेशी नीतियों की विफलता: ट्रूडो की यह विदेश नीति न केवल भारत के लिए समस्या बनी, बल्कि इसने कनाडा के भीतर भी असहमति पैदा की। कई कनाडाई नागरिकों और राजनीतिक नेताओं ने ट्रूडो के इस रुख को देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा बताया।

डोनाल्ड ट्रंप का कोप

जस्टिन ट्रूडो के लिए एक और बड़ा झटका तब आया जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें निशाना बनाना शुरू किया। ट्रंप ने ट्रूडो के विदेश नीति को नकारात्मक रूप से आंका और उन्हें ‘कमज़ोर नेता’ के रूप में पेश किया। ट्रंप ने यह भी कहा कि ट्रूडो के फैसले कनाडा के हित में नहीं थे और उनकी विदेश नीति अमेरिका के साथ रिश्तों को कमजोर कर रही थी।

  • ट्रंप का हमला: ट्रंप के हमलों ने ट्रूडो की छवि को और धक्का पहुंचाया। ट्रंप के बयान ने कनाडा में ट्रूडो की सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों को और मजबूती दी।

कनाडा में गहरी राजनीतिक अस्थिरता

ट्रूडो के इन सारे विवादों के बाद, उनकी सरकार में अस्थिरता का माहौल बढ़ गया। खालिस्तानी समर्थकों के विवाद, भारत के साथ बिगड़े रिश्ते, और ट्रंप का कड़ा हमला जैसे कई कारकों ने उनके नेतृत्व को कमजोर कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, विपक्षी दलों ने लगातार ट्रूडो की सरकार के खिलाफ आवाज उठाई और उन्हें घेरने की कोशिश की।

  • विरोध और असहमति: कनाडा के भीतर भी ट्रूडो के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे थे। देश के कई हिस्सों में उनका विरोध तेज हो गया और लोग उनकी विदेश नीति और घरेलू मुद्दों के प्रति उनकी असफलता को लेकर आंदोलन करने लगे।

ट्रूडो का इस्तीफा – अंत की शुरुआत

इन सभी कारणों के बाद, जस्टिन ट्रूडो ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया। उनके इस्तीफे ने कनाडा की राजनीति में एक नई दिशा को जन्म दिया। अब लिबरल पार्टी को नया नेतृत्व तलाशने की आवश्यकता होगी, और यह समय देखना दिलचस्प होगा कि किस नेता के हाथ में कनाडा की बागडोर जाती है।

  • कनाडा में नया नेतृत्व: ट्रूडो के इस्तीफे के बाद, कनाडा में नए नेतृत्व की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह देखना होगा कि कौन नेता पार्टी की कमान संभालता है और देश की विदेश नीति, खासकर भारत के साथ रिश्तों को कैसे संभालता है।

निष्कर्ष

जस्टिन ट्रूडो की राजनीति का अंत उनके कई विवादों की वजह से हुआ। भारत से पंगा, खालिस्तानी प्रोपगेंडा और डोनाल्ड ट्रंप से आए हमलों ने उनकी सरकार को पूरी तरह से कमजोर कर दिया। अब, ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा की राजनीति में नए नेतृत्व की आवश्यकता होगी। यह घटनाएं न केवल कनाडा के लिए, बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई हैं।

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