गहलोत सरकार में बने 9 जिलों को खारिज कर आफत मोल क्यों ले रहे हैं सीएम भजनलाल शर्मा?

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,31 दिसंबर।
राजस्थान की राजनीति में हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है, जहां मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में बनाए गए 9 नए जिलों और 3 संभागों को निरस्त करने का निर्णय लिया है। इस फैसले ने राज्य की राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल को बढ़ा दिया है। आइए, समझते हैं कि सीएम भजनलाल शर्मा ने यह जोखिम भरा कदम क्यों उठाया और इसके संभावित प्रभाव क्या हो सकते हैं।

निरस्त किए गए जिले और संभाग

भजनलाल शर्मा सरकार ने जिन 9 जिलों को रद्द किया है, वे हैं:

  • दूदू
  • केकड़ी
  • गंगापुर सिटी
  • नीम का थाना
  • सांचौर
  • शाहपुरा
  • अनूपगढ़
  • जोधपुर ग्रामीण
  • जयपुर ग्रामीण

साथ ही, तीन नए संभाग—सीकर, पाली, और बांसवाड़ा—को भी समाप्त कर दिया गया है।

फैसले के पीछे के तर्क

सरकार का दावा है कि गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए ये जिले और संभाग प्रशासनिक दृष्टिकोण से अव्यावहारिक थे। समीक्षा के लिए गठित मंत्रियों के समूह ने पाया कि इन जिलों के गठन में जनसंख्या और क्षेत्रफल का समुचित ध्यान नहीं रखा गया, जिससे प्रशासनिक ढांचे में असमानताएं उत्पन्न हो गई थीं।

राजनीतिक जोखिम

यह निर्णय राजनीतिक दृष्टि से जोखिम भरा माना जा रहा है, क्योंकि जिन 9 जिलों को रद्द किया गया है, वे 24 विधानसभा सीटों को प्रभावित करते हैं। इनमें से 13 सीटें वर्तमान में भाजपा के पास हैं। ऐसे में, अपने ही विधायकों के क्षेत्रों में जिलों को रद्द करना पार्टी के भीतर असंतोष पैदा कर सकता है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि छोटे जिले स्थानीय प्रशासन को सुव्यवस्थित करने में मदद करते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि नए जिले बनाना गलत निर्णय था, तो इसकी समीक्षा करने में एक वर्ष का समय क्यों लगा।

संभावित प्रभाव

इस निर्णय के चलते स्थानीय स्तर पर विरोध और असंतोष की संभावना है। जिन क्षेत्रों के जिलों को रद्द किया गया है, वहां के निवासियों में नाराजगी बढ़ सकती है, जिससे सरकार के प्रति समर्थन कम हो सकता है। साथ ही, प्रशासनिक पुनर्गठन के कारण सरकारी संसाधनों और समय की बर्बादी भी हो सकती है।

निष्कर्ष

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का यह निर्णय प्रशासनिक सुधार की दिशा में उठाया गया कदम है या राजनीतिक रणनीति, यह तो समय ही बताएगा। हालांकि, इस फैसले ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है और आगामी समय में इसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित वीडियो देख सकते हैं:

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