2027 तक भारत के इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव: 1.2 करोड़ नौकरियों और 500 अरब डॉलर के हब का लक्ष्य

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,31 दिसंबर।
भारत के इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर में आने वाले वर्षों में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिल सकते हैं। सरकार और उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि 2027 तक देश में इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में 1.2 करोड़ से अधिक नौकरियां पैदा होंगी। यह अनुमान भारत को 500 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में उठाए गए ठोस कदमों पर आधारित है।

भारत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य

भारत सरकार का उद्देश्य देश को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाना है। यह लक्ष्य ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी योजनाओं के अंतर्गत आता है। इन योजनाओं के तहत भारत न केवल घरेलू उत्पादन बढ़ा रहा है बल्कि वैश्विक निवेशकों को भी आकर्षित कर रहा है।

सरकार की योजनाएं और नीतियां

इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई नीतियां लागू की हैं, जिनमें प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना शामिल है। यह योजना विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को प्रोत्साहन देने के लिए तैयार की गई है।
इसके अलावा, सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण के लिए भी भारत बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। इसके तहत देश में अत्याधुनिक उत्पादन इकाइयां स्थापित की जा रही हैं, जो नौकरियों के नए अवसर प्रदान करेंगी।

रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं

1.2 करोड़ नौकरियों का यह अनुमान केवल उत्पादन क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसमें रिसर्च और डेवलपमेंट, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, और अन्य सहायक उद्योगों का भी योगदान होगा।
इसके अलावा, छोटे और मझोले उद्योगों (MSMEs) को इस क्षेत्र में शामिल करने से रोजगार के अवसरों में और अधिक वृद्धि होगी।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की भूमिका

चीन, वियतनाम, और ताइवान जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कम लागत, विशाल श्रम शक्ति, और सरकार की अनुकूल नीतियां भारत को वैश्विक बाजार में मजबूत स्थान दिलाएंगी।
भारत पहले ही स्मार्टफोन निर्माण के क्षेत्र में बड़ी प्रगति कर चुका है। आज, एप्पल और सैमसंग जैसी कंपनियां भारत को अपने प्रमुख निर्माण स्थलों में शामिल कर रही हैं।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के रास्ते में कई चुनौतियां भी हैं। इनमें तकनीकी ज्ञान की कमी, आपूर्ति शृंखला का कमजोर आधार, और पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी शामिल हैं।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत को अपने कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाना होगा और अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा।

निष्कर्ष

भारत का इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर आने वाले समय में रोजगार और आर्थिक विकास के नए आयाम स्थापित करने वाला है। 2027 तक 1.2 करोड़ से अधिक नौकरियां और 500 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का यह सपना, भारत को एक नई वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक होगा।
यह भारतीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और युवा पीढ़ी के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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