समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,27 दिसंबर। भारत की राजनीति और कूटनीति के इतिहास में जुलाई 2008 की वह रात एक मील का पत्थर है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अपनी सरकार को दांव पर लगाते हुए भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील को फाइनल किया। यह डील न केवल भारत के ऊर्जा क्षेत्र को नई दिशा देने वाली थी, बल्कि इसके साथ कई राजनीतिक जोखिम भी जुड़े हुए थे।