विवादित टिप्पणी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज की सुप्रीम कोर्ट में पेशी, सीजेआई खन्ना ने लगाई फटकार
समग्र समाचार सेवा
इलाहाबाद, 18 दिसंबर। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में दिए गए विवादित बयान के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। भारत के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम के समक्ष उनकी पेशी हुई। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान उनकी जमकर क्लास लगाई गई। कॉलेजियम ने जस्टिस यादव को यह स्पष्ट रूप से कहा कि अदालत से बाहर बयान देने के दौरान भी उन्हें संवैधानिक पद की गरिमा बनाए रखने का ध्यान रखना चाहिए।
सीजेआई खन्ना इस दौरान काफी नाराज दिखे और उन्होंने जस्टिस यादव से उनके विवादित बयान पर स्पष्टीकरण मांगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कॉलेजियम जस्टिस यादव के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुआ और उन्हें फटकार लगाई गई। कॉलेजियम ने यह भी बताया कि संवैधानिक पद पर बैठे न्यायाधीश का हर बयान, चाहे वह कोर्ट में हो या बाहर, न केवल पद की गरिमा के अनुरूप होना चाहिए, बल्कि इससे न्यायपालिका में जनता के विश्वास को भी ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर को मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि इस मामले पर हाईकोर्ट से विवरण और जानकारियां मंगाई गई हैं।
आठ दिसंबर को VHP के एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि UCC का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम इलाहाबाद हाईकोर्ट में विहिप के विधिक प्रकोष्ठ और हाईकोर्ट इकाई के प्रांतीय सम्मेलन के तहत आयोजित हुआ था।
जस्टिस यादव के बयान से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे, जिसके बाद राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। विपक्षी दलों ने उनके बयानों को “घृणास्पद” बताते हुए कड़ी आलोचना की। अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इस मामले में जस्टिस यादव के आचरण की आंतरिक जांच कराने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया कि न्यायाधीशों से संवैधानिक मर्यादा और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है। इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होगी, इस पर अभी निगाहें टिकी हैं।