कॉलेज की मजार पर हनुमान चालीसा पढ़ने का प्रयास: पुलिस और छात्रों के बीच झड़प, 9 हिरासत में

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,3 दिसंबर।
एक विवादित घटनाक्रम में, कॉलेज परिसर में स्थित मजार पर हनुमान चालीसा पढ़ने के प्रयास के दौरान पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हो गई। यह घटना शहर के एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान में हुई, जहां धार्मिक मुद्दे को लेकर माहौल तनावपूर्ण हो गया।

क्या है मामला?

कॉलेज परिसर में एक पुरानी मजार स्थित है, जिसे लंबे समय से धार्मिक सद्भाव का प्रतीक माना जाता रहा है। लेकिन हाल ही में, कुछ छात्रों ने वहां हनुमान चालीसा पढ़ने का आह्वान किया।

  • छात्रों का कहना था कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा है और वे शांति के साथ यह आयोजन करना चाहते थे।
  • कॉलेज प्रशासन ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थान में इस प्रकार की धार्मिक गतिविधियां अनुचित हैं।

कैसे बढ़ा विवाद?

घटना उस समय तनावपूर्ण हो गई जब छात्रों का एक समूह मजार पर पहुंचकर हनुमान चालीसा पढ़ने की कोशिश करने लगा। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके बाद विवाद बढ़ गया और झड़प की स्थिति उत्पन्न हो गई।

  • पुलिस के मुताबिक, छात्रों को चेतावनी दी गई थी कि इस तरह की गतिविधियां कॉलेज की शांति और अनुशासन को भंग कर सकती हैं।
  • झड़प के दौरान कुछ छात्रों और पुलिसकर्मियों को हल्की चोटें भी आईं।

हिरासत और कार्रवाई

पुलिस ने मौके से 9 छात्रों को हिरासत में लिया है।

  • पुलिस का बयान: हिरासत में लिए गए छात्रों पर कानून व्यवस्था भंग करने और पुलिस के साथ दुर्व्यवहार का आरोप है।
  • छात्रों का बयान: छात्रों का कहना है कि उनका उद्देश्य शांतिपूर्ण था और उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया।

कॉलेज प्रशासन की प्रतिक्रिया

कॉलेज प्रशासन ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।

  • प्रशासन ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान में किसी भी प्रकार की धार्मिक या राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • छात्रों को अपने मतभेद बातचीत और समझौते से सुलझाने की सलाह दी गई।

राजनीतिक रंग

इस घटना ने राजनीतिक दलों का ध्यान भी खींचा है।

  • कुछ संगठनों ने छात्रों का समर्थन करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा बताया।
  • वहीं, अन्य संगठनों ने इसे संस्थान की गरिमा को ठेस पहुंचाने का प्रयास करार दिया।

सामाजिक प्रतिक्रिया

घटना पर समाज में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

  • कुछ लोग इसे धार्मिक कट्टरता का उदाहरण मान रहे हैं।
  • वहीं, अन्य इसे युवा पीढ़ी के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की बात मानते हैं।

निष्कर्ष

यह घटना धार्मिक और शैक्षणिक मूल्यों के टकराव का उदाहरण है। ऐसी स्थितियों में सभी पक्षों को संयम और संवाद के माध्यम से समाधान निकालने की आवश्यकता है। पुलिस और प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा कि शैक्षणिक संस्थान राजनीतिक और धार्मिक विवादों से मुक्त रहें, ताकि शिक्षा का माहौल प्रभावित न हो।

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