RBI ने रेपो रेट को लेकर किया बड़ा फैसला: मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,9 अक्टूबर। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक, जो 7 अक्टूबर को शुरू हुई थी, के फैसले आज सार्वजनिक किए गए हैं। आरबीआई ने इस बार भी रेपो रेट को स्थिर रखते हुए इसे 6.50% पर बरकरार रखने का निर्णय लिया है। यह लगातार चौथी बार है जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। रेपो रेट स्थिर रखने के पीछे आरबीआई का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखना है, जो पिछले कुछ महीनों में चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि, इस फैसले से बाजार को स्थिरता का संकेत मिला है, लेकिन ऋण लेने वालों के लिए ब्याज दरों में कोई कमी न होने से राहत की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौजूदा वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों को देखते हुए रेपो रेट में स्थिरता बनाए रखना आवश्यक था। उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति के दबावों को नियंत्रित करने के लिए सतर्कता बरती जा रही है और भविष्य में भी यह प्राथमिकता बनी रहेगी।

मुद्रास्फीति को लेकर आरबीआई की चिंता

मुद्रास्फीति की दर अभी भी आरबीआई के लक्ष्य के दायरे से ऊपर है, हालांकि कुछ हद तक इसमें सुधार देखने को मिला है। आरबीआई ने संकेत दिया कि अगले कुछ महीनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता आ सकती है, जिससे मुद्रास्फीति पर काबू पाया जा सकता है। इसके बावजूद, आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था की अनिश्चितताओं और कच्चे तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि से भी मुद्रास्फीति पर दबाव बना रह सकता है।

ऋण और निवेश पर प्रभाव

रेपो रेट में कोई बदलाव न होने का सीधा असर होम लोन, कार लोन और अन्य कर्ज लेने वालों पर पड़ेगा, क्योंकि बैंक अपनी मौजूदा ब्याज दरों को इसी आधार पर तय करते हैं। हालांकि, उद्योग और निवेशकों के लिए यह निर्णय बाजार में स्थिरता और अनुमानित आर्थिक नीति का संकेत देता है, जिससे लंबे समय में निवेश में स्थिरता और बढ़ोतरी की संभावना बनी रहेगी।

आरबीआई का भविष्य का रुख

आरबीआई ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वह आगे भी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है। शक्तिकांत दास ने कहा कि भविष्य में यदि मुद्रास्फीति नियंत्रण में आती है, तो रेपो रेट में बदलाव की संभावनाएं हो सकती हैं।

इस बैठक के नतीजे यह साफ करते हैं कि आरबीआई फिलहाल सतर्कता और स्थिरता बनाए रखने के मार्ग पर है, जिससे आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन कायम रखा जा सके।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.