यासीन मलिक: जेकेएलएफ के संस्थापक और कश्मीर के संघर्ष में प्रमुख चेहरा

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 अक्टूबर। यासीन मलिक, जो जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का एक प्रमुख नेता रहे हैं, ने 1988 में इस संगठन की स्थापना की थी। जेकेएलएफ का उद्देश्य कश्मीर को भारत से अलग करके एक स्वतंत्र राज्य बनाना था। यासीन ने इस संगठन को एक नए दिशा में आगे बढ़ाने के लिए अपनी रणनीतियों को विकसित किया और इसे एक सशस्त्र संघर्ष में तब्दील कर दिया।1990 में, यासीन और उसके आतंकवादियों ने श्रीनगर के रावलपिन्डी में एक बड़ा हमला किया, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान गई। इस हमले ने कश्मीर में आतंकवाद के बढ़ते खतरे को उजागर किया और इसे एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। यासीन का उद्देश्य उस समय कश्मीर में अस्थिरता पैदा करना और भारतीय सरकार के खिलाफ जन समर्थन जुटाना था।

यासीन मलिक ने अपनी रणनीतियों के तहत, जेकेएलएफ को एक प्रभावी आतंकवादी संगठन के रूप में स्थापित किया, जिसने कश्मीर में कई आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया। यह संगठन न केवल सशस्त्र संघर्ष में लिप्त था, बल्कि इसने राजनीतिक स्तर पर भी कई प्रभावशाली गतिविधियों को अंजाम दिया।

हालांकि, समय के साथ यासीन मलिक ने एक अलग रणनीति अपनाई और उन्होंने आतंकवाद से दूर होकर राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होने का निर्णय लिया। यासीन ने एक शांति वार्ता का समर्थन किया और भारतीय सरकार के साथ बातचीत के लिए एक मंच की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस बदलाव के बावजूद, यासीन मलिक का नाम कश्मीर के आतंकवादी संगठनों के साथ जुड़ा रहा। भारतीय सुरक्षा बलों ने उनके खिलाफ कई बार कार्रवाई की, और उन्हें गिरफ्तार किया गया। इसके बावजूद, यासीन का प्रभाव कश्मीर के राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बना रहा।

यासीन मलिक का जीवन और कार्य, जम्मू-कश्मीर की जटिल राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उनकी गतिविधियों ने न केवल कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया, बल्कि उन्होंने स्थानीय लोगों की जिंदगी को भी प्रभावित किया।

इस प्रकार, यासीन मलिक का नाम कश्मीर की राजनीति और संघर्ष में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है, जिसकी गतिविधियों का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है।

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