आज भी वो दिन याद है: लल्ला की गिरफ्तारी और मां की तड़प

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,1 अक्टूबर। वो दिन आज भी हमारी आंखों के सामने से हटता नहीं, जब पुलिस हमारे लल्ला को पकड़कर ले गई। घर के दरवाजे पर पुलिस की गाड़ियों के सायरन की आवाज सुनकर जैसे सब कुछ थम सा गया था। उस दिन जो कुछ हुआ, उसने न केवल हमारे लल्ला की जिंदगी को बदल दिया, बल्कि हमारी मां को ऐसी घबराहट की बीमारी दे दी, जिससे वह आज तक उबर नहीं पाई।

मां की हालत

जब पुलिस लल्ला को हथकड़ियां डालकर ले जा रही थी, तब मां ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की। वो पुलिसवालों के पैरों पर गिर पड़ी, रो-रोकर गिड़गिड़ाती रही, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। माँ का दिल टूट चुका था, वो चीख-चीखकर रो रही थी, उनकी आंखों से आंसू थम ही नहीं रहे थे। उस वक्त जो दर्द मां ने सहा, उसका कोई मोल नहीं है। उस दिन से मां की तबीयत ऐसी बिगड़ी कि फिर कभी ठीक न हो सकी।

घबराहट की बीमारी

उस हादसे के बाद से मां को घबराहट की बीमारी पकड़ गई। घर में जरा सी आहट भी होती तो मां सहम जाती। लल्ला की गिरफ्तारी के बाद मां का दिल और दिमाग जैसे एक अंधेरे में डूब गया था। उसे जब तक दवा नहीं मिलती, तब तक उसकी हालत खराब रहती। उसे हमेशा डर लगता कि कुछ बुरा होने वाला है। डॉक्टरों ने बताया कि यह घबराहट की बीमारी है, जो मानसिक तनाव और चिंता की वजह से होती है। मां की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती चली गई, और अब वह दवा के बिना एक पल भी नहीं रह सकती।

लल्ला का संघर्ष

लल्ला की गिरफ्तारी ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया। वह नाजुक स्थिति में था, पर कानून की जकड़न में आ चुका था। हम सभी जानते थे कि लल्ला ने कुछ गलत नहीं किया था, लेकिन हालात और गवाहों ने उसे दोषी बना दिया। वो जेल में अपने दिन काट रहा था, और हम बाहर उसके लिए लड़ाई लड़ रहे थे। मां की तबीयत को देखते हुए लल्ला की भी हालत खराब हो रही थी, लेकिन वह मजबूरी में कानून के आगे नतमस्तक था।

एक परिवार का दर्द

लल्ला की गिरफ्तारी सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि पूरे परिवार की पीड़ा थी। मां का दर्द असहनीय था, लेकिन हमें हर दिन जीना था, हर दिन उसकी देखभाल करनी थी। दवाओं पर निर्भर माँ का जीवन अब वही था—दवाओं से राहत, और लल्ला की यादों में खोया हुआ एक दिल। हम सब लल्ला की बेगुनाही साबित करने की कोशिश में जुटे थे, लेकिन माँ का दर्द हमें और भी मजबूर बना देता था।

जीवन की मुश्किलें

आज भी जब हम वो दिन याद करते हैं, तो आंखों में आंसू आ जाते हैं। वो समय जिसने हमारे परिवार को इतना तोड़ दिया कि अब उसे जोड़ पाना मुश्किल है। मां अब भी लल्ला की वापसी की उम्मीद में दिन काट रही है, लेकिन उनकी सेहत का हाल दिन-प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है। घबराहट की बीमारी और मानसिक तनाव ने उनका जीवन मुश्किल बना दिया है।

निष्कर्ष

इस कहानी में सिर्फ एक लल्ला नहीं, बल्कि हजारों लोग शामिल हैं, जो अपनी मासूमियत साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। और ऐसे परिवार भी हैं, जो हर दिन अपने प्रियजनों की वापसी का इंतजार करते हुए घुटते रहते हैं। लल्ला की गिरफ्तारी ने न केवल उसे, बल्कि पूरे परिवार को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.