भारत ने सेमीकंडक्टर उद्योग में सधे कदमों के साथ किया प्रवेश

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 सितम्बर। भारत ने अरबों डॉलर की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में देर से ही सही, लेकिन सधे और रणनीतिक कदमों के साथ प्रवेश किया है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र में भारत की नई पहल की घोषणा की, जो देश की तकनीकी और आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री की ओर इस कदम को उठाने की आवश्यकता पिछले कुछ वर्षों से महसूस की जा रही थी। विश्व स्तर पर सेमीकंडक्टर चिप्स की मांग तेजी से बढ़ रही है, और यह क्षेत्र वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। भारत, जो तकनीकी विकास और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी बनना चाहता है, ने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ठोस योजनाएं बनाई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नई पहल की घोषणा करते हुए कहा कि भारत अब सेमीकंडक्टर निर्माण और डिज़ाइन में एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी बनने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत की यह नई रणनीति ना केवल देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगी बल्कि आर्थिक विकास को भी गति देगी।

इस पहल के तहत, भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण इकाइयों की स्थापना, अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश, और इस क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन की तैयारी के लिए विभिन्न योजनाएं तैयार की गई हैं। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भी कई प्रोत्साहन और सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) बनाने, कर लाभ और अन्य प्रोत्साहनों की घोषणा की है, ताकि देश में सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा दिया जा सके। इसके अलावा, भारत में सेमीकंडक्टर शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे इस क्षेत्र में कुशल श्रमबल तैयार हो सके।

सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत का प्रवेश देश की अर्थव्यवस्था को नया दिशा देने के साथ-साथ तकनीकी प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह कदम भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने में मदद करेगा और भारत को एक तकनीकी महाशक्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।

भारत के इस प्रयास से न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि देश की औद्योगिक क्षमता में भी सुधार होगा, जिससे दीर्घकालिक आर्थिक लाभ और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि की संभावना है।

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