आईसीसी कैसे किसी स्टेडियम पर अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी रोकती है: ग्रेटर नोएडा स्टेडियम पर लगा प्रतिबंध

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 सितम्बर। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंस‍िल (ICC) दुनिया भर में क्रिकेट के खेल को नियंत्रित करने वाली सर्वोच्च संस्था है, जो न केवल खेल के नियमों को तय करती है, बल्कि मैदानों, खिलाड़ियों और अंपायरों के मानकों पर भी नजर रखती है। ICC के पास यह अधिकार होता है कि यदि किसी स्टेडियम की स्थिति, सुविधाओं या मैदान की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी नहीं उतरती, तो वह उस स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी पर रोक लगा सकती है। हाल ही में ग्रेटर नोएडा स्टेडियम को इस प्रकार के प्रतिबंध का सामना करना पड़ा है।

स्टेडियम पर बैन क्यों और कैसे लगता है?

ICC किसी भी स्टेडियम पर बैन लगाने के लिए कुछ प्रमुख मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करती है। ये मानक मुख्य रूप से पिच की गुणवत्ता, मैदान की सुरक्षा, स्टेडियम की सुविधाएँ, और खेल के दौरान खिलाड़ियों और दर्शकों की सुरक्षा से जुड़े होते हैं। यदि कोई स्टेडियम इन मानकों का उल्लंघन करता है, तो ICC उस स्टेडियम पर बैन या प्रतिबंध लगा सकती है। आइए जानें कि कैसे यह प्रक्रिया काम करती है:

1. पिच और आउटफील्ड की गुणवत्ता

पिच की गुणवत्ता किसी भी क्रिकेट मैच के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है। यदि पिच की स्थिति ऐसी हो कि वह खेल को असंतुलित या खतरनाक बना दे, तो ICC कार्रवाई कर सकती है। उदाहरण के लिए, अगर पिच बहुत अधिक उछाल वाली या बेहद धीमी होती है, जिससे बल्लेबाजों और गेंदबाजों के बीच असमान प्रतिस्पर्धा हो, तो ICC इसे “अनफिट” घोषित कर सकती है। पिच के अलावा, आउटफील्ड की स्थिति, जैसे घास की स्थिति, रनिंग एरिया की सुरक्षा और पानी के निकासी की व्यवस्था भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

2. खिलाड़ियों की सुरक्षा

अगर किसी स्टेडियम में खिलाड़ियों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे पाए जाते हैं, जैसे कि अनियमित पिच उछाल या आउटफील्ड में खराब स्थिति, तो ICC उस मैदान को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अनुपयुक्त मान सकती है। मैदान पर खिलाड़ियों के चोटिल होने का खतरा, पिच की अनियमितता या मैदान के रख-रखाव में कमी के कारण हो सकता है।

3. दर्शकों और अन्य सुविधाओं का मानक

स्टेडियम में दर्शकों की सुरक्षा और बुनियादी सुविधाएं भी ICC की प्राथमिकता होती हैं। यदि स्टेडियम में बैठने की उचित व्यवस्था, आपातकालीन निकासी योजना, या चिकित्सा सुविधाएं पर्याप्त नहीं होतीं, तो ICC इसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अनुपयुक्त मान सकती है। इसके साथ ही, खिलाड़ियों के लिए ड्रेसिंग रूम की सुविधाएँ, प्रैक्टिस एरिया, और अन्य सुविधाओं को भी देखा जाता है।

4. रिपोर्ट्स और जांच प्रक्रिया

यदि किसी स्टेडियम की स्थिति पर संदेह होता है, तो ICC अपने मैच रेफरी और अन्य अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करती है। मैच के दौरान पिच की स्थिति या मैदान की गुणवत्ता पर रेफरी और अंपायरों द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर जांच की जाती है। इसके बाद, ICC की एक विशेष टीम उस स्टेडियम की जांच करती है और तय करती है कि क्या वह स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए योग्य है या नहीं।

ग्रेटर नोएडा स्टेडियम पर बैन

हाल ही में, ग्रेटर नोएडा स्टेडियम को ICC ने अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी से रोक दिया। इस बैन का मुख्य कारण पिच और मैदान की गुणवत्ता को लेकर ICC द्वारा निर्धारित मानकों का पालन न होना था। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टेडियम की पिच को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अनफिट पाया गया, जिससे खेल की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती थी और खिलाड़ियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती थी।

ग्रेटर नोएडा स्टेडियम का उपयोग घरेलू क्रिकेट और अन्य टूर्नामेंटों के लिए किया जा रहा था, लेकिन इस घटना के बाद अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी से स्टेडियम को प्रतिबंधित कर दिया गया। अब इसे फिर से मानकों पर खरा उतरने के लिए सुधार कार्यों से गुजरना पड़ेगा।

बैन हटने की प्रक्रिया

किसी स्टेडियम पर लगे बैन को हटाने के लिए, उस स्टेडियम को ICC के मानकों के अनुसार अपनी कमियों को ठीक करना होता है। इसके लिए स्थानीय क्रिकेट बोर्ड और स्टेडियम प्रबंधन को मैदान की गुणवत्ता, पिच की मरम्मत, और अन्य आवश्यक सुधारों पर ध्यान देना होता है। इसके बाद, ICC की एक टीम फिर से स्टेडियम की जांच करती है और यदि सब कुछ ठीक पाया जाता है, तो बैन हटा लिया जाता है।

निष्कर्ष

ICC द्वारा स्टेडियम पर बैन लगाने का उद्देश्य खेल की गुणवत्ता और खिलाड़ियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। पिच की खराब स्थिति, मैदान की असुरक्षा, या अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी से प्रतिबंधित किया जा सकता है। ग्रेटर नोएडा स्टेडियम पर लगा बैन इस बात का उदाहरण है कि ICC अपने मानकों से कोई समझौता नहीं करती, और किसी भी प्रकार की अनियमितता को गंभीरता से लिया जाता है।

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