इंडोनेशिया में पोप फ्रांसिस का धार्मिक अतिवाद के खिलाफ सख्त संदेश

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 सितम्बर। पोप फ्रांसिस इन दिनों दुनिया की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने धार्मिक अतिवाद और असहिष्णुता के खिलाफ एक सशक्त संदेश दिया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भवन में दिए अपने भाषण में पोप ने सभी धार्मिक समुदायों से आपसी सद्भाव और शांति बनाए रखने की अपील की। उनके इस दौरे को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैले धार्मिक तनाव और चरमपंथी गतिविधियों के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

धार्मिक अतिवाद पर पोप का कड़ा रुख

पोप फ्रांसिस ने अपने संबोधन में धार्मिक अतिवाद को “मानवता के लिए एक गंभीर खतरा” करार दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक विश्वासों का इस्तेमाल हिंसा और घृणा फैलाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी धर्मों का मुख्य उद्देश्य मानवता की सेवा करना और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना है।

इंडोनेशिया की सांस्कृतिक विविधता की तारीफ

इंडोनेशिया की बहुलतावादी संस्कृति और वहां की धार्मिक सहिष्णुता की तारीफ करते हुए पोप फ्रांसिस ने कहा कि यह देश धार्मिक विविधता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने इंडोनेशिया के लोगों की प्रशंसा की जो विभिन्न धर्मों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास रखते हैं। पोप ने यह भी कहा कि इस सहिष्णुता की भावना को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ियां धार्मिक सौहार्द्रता को बढ़ावा दे सकें।

धार्मिक नेताओं की भूमिका पर जोर

पोप फ्रांसिस ने अपने भाषण में धार्मिक नेताओं की जिम्मेदारी को रेखांकित करते हुए कहा कि उन्हें शांति और समझ का संदेश देना चाहिए। उन्होंने धार्मिक नेताओं से अपील की कि वे अपने अनुयायियों को भाईचारे और एकता की राह दिखाएं। उनका मानना है कि धार्मिक नेताओं का आचरण और उनके संदेश समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं, इसलिए उन्हें बेहद सावधानी से काम करना चाहिए।

इंडोनेशिया में पोप का दौरा: एक महत्वपूर्ण कदम

इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम-बहुल देश में पोप फ्रांसिस का दौरा न केवल धार्मिक एकता के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि यह विश्व स्तर पर फैले धार्मिक संघर्षों को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी माना जा रहा है। पोप का संदेश न केवल इंडोनेशिया के लिए, बल्कि दुनिया भर के सभी धार्मिक समुदायों के लिए एक अहम संदेश है, जो धार्मिक सहिष्णुता और शांति के महत्व को दर्शाता है।

निष्कर्ष

पोप फ्रांसिस का इंडोनेशिया दौरा और उनका धार्मिक अतिवाद के खिलाफ दिया गया संदेश वैश्विक स्तर पर शांति और सहिष्णुता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उनका यह दौरा उन सभी धार्मिक समुदायों को प्रेरित करता है कि वे आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुटता और सद्भाव की ओर बढ़ें। धार्मिक नेताओं की भूमिका को उन्होंने खास तौर पर रेखांकित किया है, जो समाज को सही दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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