गुजरात के तट को पार करने के बाद अरब सागर में असामान्य चक्रवात ने चौंकाया, वैज्ञानिकों ने कहा दुर्लभ घटना
समग्र समाचार सेवा
गुजरात, 31 अगस्त. गुजरात के तट को पार करने के बाद अरब सागर में उत्पन्न हुए असामान्य चक्रवात ने मौसम वैज्ञानिकों को हैरानी में डाल दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना पिछले 48 वर्षों में पहली बार देखने को मिली है। 1976 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि एक चक्रवात भूमि को पार करने के बाद अरब सागर में बना है, जिसने इस क्षेत्र में चक्रवात निर्माण की पारंपरिक समझ को चुनौती दी है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि 1976 में एक चक्रवात ओडिशा से शुरू होकर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की दिशा में बढ़ा था और फिर अरब सागर में प्रवेश कर लूपिंग ट्रैक का अनुसरण किया। यह चक्रवात अंततः ओमान तट के पास कमजोर पड़ गया था। उसी तरह से अब चक्रवात असना की घटना ने वैज्ञानिकों को आश्चर्यचकित कर दिया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, मानसून के मौसम में अरब सागर का तापमान सामान्यतः 26 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है, जिसके कारण जुलाई से सितंबर के बीच चक्रवात बनने की संभावना बहुत कम होती है। इसीलिए, असना का इस समय प्रकट होना असामान्य है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, साइक्लोजेनेसिस के लिए समुद्र की सतह का तापमान 26.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होना चाहिए, जो असना की उत्पत्ति को लेकर सवाल खड़े करता है।
पश्चिमी अरब सागर में चक्रवात निर्माण के लिए ठंडे तापमान और शुष्क हवा की स्थितियां आमतौर पर प्रतिकूल होती हैं। बंगाल की खाड़ी की तुलना में अरब सागर में बहुत कम चक्रवात उत्पन्न होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि असना की घटना से चक्रवात निर्माण की मौजूदा समझ में बदलाव की संभावना है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग इन असामान्य परिस्थितियों को प्रभावित कर सकती है और यह घटना मौसम विज्ञान में शोध के लिए नए सवाल खड़े कर रही है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन वैश्विक मौसम प्रणालियों पर गहरा प्रभाव डाल रहे हैं, जिससे चक्रवात असना जैसी घटनाएं भविष्य में और अधिक देखने को मिल सकती हैं। यह घटना अरब सागर में बदलते मौसम और जलवायु मॉडल की गतिशीलता पर और अधिक शोध की आवश्यकता की ओर इशारा करती है। वैज्ञानिक इस चक्रवात पर नजर बनाए हुए हैं और इसके दीर्घकालिक प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।