समग्र समाचार सेवा
कोलकाता 19 अगस्त। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त 2024 को एक पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर की निर्मम हत्या के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया है। इस डॉक्टर के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई है, जिसने इस बर्बर अपराध के भयावह पहलुओं को उजागर किया है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतक डॉक्टर के शरीर पर 14 से अधिक चोट के निशान मिले हैं। हालांकि, किसी प्रकार के फ्रैक्चर का पता नहीं चला है। रिपोर्ट में सिर, गाल, होंठ, नाक, जबड़ा, ठुड्डी, गर्दन, हाथ, कंधे, घुटने, टखने और प्राइवेट पार्ट्स पर चोटों का विवरण दर्ज किया गया है। इसके अलावा, बाहरी और आंतरिक जननांगों का वजन 151 ग्राम पाया गया है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि शरीर के कई हिस्सों में खून के थक्के जमने के साथ-साथ फेफड़ों में रक्तस्राव भी पाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता की मौत गला घोंटने के कारण हुई थी और प्राइवेट पार्ट्स में बलात्कारी प्रवेश के चिकित्सीय साक्ष्य भी मिले हैं। रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न की संभावना का भी जिक्र किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
इस जघन्य अपराध पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ 20 अगस्त को इस मामले की सुनवाई करेगी। यह मामला सुनवाई के लिए तय मुकदमों की सूची में 66वें नंबर पर है, लेकिन इसे प्राथमिकता पर सुना जाएगा।
देशभर के डॉक्टरों की हड़ताल
इस घटना के बाद, देशभर के अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के बीच आक्रोश व्याप्त है। दिल्ली एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने इस हत्या के विरोध में 12 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। वे OPD और वार्ड सेवाओं सहित सभी वैकल्पिक और नॉन-इमरजेंसी सेवाओं को निलंबित कर रहे हैं।
चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून की मांग
प्रदर्शनकारी डॉक्टर पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की अपील कर रहे हैं। एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून बनाने का आग्रह किया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 17 अगस्त को चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समिति गठित करने का आश्वासन दिया है। सरकार इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की बात कह रही है।
यह घटना न केवल एक जघन्य अपराध की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि देश में मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संवेदनशीलता की कितनी आवश्यकता है।