बांग्लादेश में सियासी उठापटक के बाद अराजकता चरम पर, शहीद स्मारक और मुजीबनगर की मूर्तियों को किया गया ध्वस्त
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12अगस्त। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद देश के विभिन्न इलाकों में अराजकता और हिंसा का माहौल बन गया है। सियासी अस्थिरता के इस दौर में देश के कई हिस्सों से चिंताजनक खबरें सामने आ रही हैं।
हाल ही में, बांग्लादेश के 1971 के शहीद स्मारक और मुजीबनगर की मूर्तियों को अराजक तत्वों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया। ये मूर्तियां देश की स्वतंत्रता संग्राम की प्रतीक हैं और बांग्लादेश की राष्ट्रीय धरोहर का हिस्सा मानी जाती हैं। इस घटना ने देश में चल रही अराजकता और अस्थिरता को और भी उजागर कर दिया है।
इन मूर्तियों को ध्वस्त करने वाले तत्वों के बारे में कहा जा रहा है कि वे भारत विरोधी विचारधारा से प्रेरित हैं। इस घटना ने बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों को भी प्रभावित किया है, क्योंकि ये मूर्तियां दोनों देशों की साझा विरासत का प्रतीक हैं।
भारतीय नेता शशि थरूर ने भी इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम की धरोहर को इस तरह नष्ट करना न केवल इतिहास का अपमान है, बल्कि वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता का भी प्रमाण है।
इस ताजा घटनाक्रम ने बांग्लादेश की सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह देश में कानून-व्यवस्था को बहाल करे और ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, जो देश की धरोहर और समाज के लिए खतरा बन रहे हैं।
बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि देश को सियासी स्थिरता और सामाजिक समरसता की सख्त जरूरत है। इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि अराजकता का माहौल समाप्त हो और देश फिर से शांति की ओर बढ़ सके।