केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक: एससी और एसटी आरक्षण में उप-वर्गीकरण पर विचार, क्रीमी लेयर की संभावना खारिज

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की गई, जिसमें संविधान में दिए गए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण के उप-वर्गीकरण पर विचार किया गया। इस महत्वपूर्ण बैठक में सरकार ने साफ किया कि एससी और एसटी वर्गों के लिए क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू नहीं की जाएगी, क्योंकि यह बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।

उप-वर्गीकरण का प्रस्ताव: एक संवेदनशील मुद्दा

एससी और एसटी के आरक्षण के उप-वर्गीकरण का मुद्दा काफी समय से विवादों में रहा है। इस उप-वर्गीकरण का उद्देश्य इन वर्गों के भीतर सबसे कमजोर और पिछड़े समूहों को अधिक अवसर प्रदान करना है, ताकि उन्हें समान रूप से आरक्षण का लाभ मिल सके। हालांकि, यह एक संवेदनशील और जटिल मुद्दा है, जो समाज में विभिन्न धड़ों के बीच विभाजन की संभावना को बढ़ा सकता है।

क्रीमी लेयर की अवधारणा खारिज

बैठक के दौरान, यह स्पष्ट किया गया कि एससी और एसटी के लिए क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू नहीं की जाएगी। सरकार का तर्क है कि क्रीमी लेयर की अवधारणा पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए है, और इसे एससी और एसटी वर्गों पर लागू करना संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है। बाबासाहेब अंबेडकर ने एससी और एसटी वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान करते समय इस बात पर जोर दिया था कि यह आरक्षण उनके ऐतिहासिक रूप से शोषित और वंचित समुदायों को सशक्त बनाने के लिए है, और इसे सीमित नहीं किया जाना चाहिए।

विपक्ष का रुख और प्रतिक्रिया

सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ दलों ने उप-वर्गीकरण के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए इसे समय की मांग बताया है, जबकि अन्य ने कहा है कि यह एससी और एसटी समुदायों के बीच विभाजन पैदा कर सकता है। विपक्ष का यह भी कहना है कि आरक्षण की मूल भावना को सुरक्षित रखने के लिए इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श की आवश्यकता है।

भविष्य की दिशा

केंद्रीय मंत्रिमंडल की इस बैठक ने एक बार फिर से एससी और एसटी के लिए आरक्षण के मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा का केंद्र बना दिया है। जहां एक ओर सरकार का रुख स्पष्ट है कि क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू नहीं की जाएगी, वहीं दूसरी ओर, उप-वर्गीकरण के प्रस्ताव पर आगे की कार्यवाही की संभावना को देखते हुए, आने वाले समय में इस पर और भी बहस होने की संभावना है।

निष्कर्ष

एससी और एसटी आरक्षण के उप-वर्गीकरण का मुद्दा भारतीय राजनीति और समाज में गहरे प्रभाव डालने वाला है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर विचार किया गया, लेकिन क्रीमी लेयर की अवधारणा को लागू करने से इंकार कर दिया गया। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ते हैं और देश के वंचित समुदायों के हितों को कैसे सुरक्षित रखते हैं।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.