अमन सहरावत: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत के लिए ऐतिहासिक ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले पहलवान की प्रेरणादायक कहानी

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10अगस्त। रेसलिंग की दुनिया में अमन सहरावत का नाम अब भारत के लिए गर्व का प्रतीक बन गया है। पेरिस ओलंपिक 2024 में उन्होंने वह कर दिखाया, जो आज तक भारतीय ओलंपिक इतिहास में नहीं हुआ था। 21 साल की उम्र में, अमन ने पुरुषों की फ्रीस्टाइल 57 किग्रा कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को गौरवान्वित किया।

ब्रॉन्ज मेडल जीतने का सफर

अमन सहरावत का ओलंपिक सफर संघर्षों और मेहनत की गाथा है। उन्होंने अपने 21वें जन्मदिन के महज एक महीने बाद यह शानदार उपलब्धि हासिल की। अमन ने अपने इंटरव्यू में बताया कि ब्रॉन्ज मेडल जीतने के लिए उन्होंने अपनी फिटनेस पर काफी मेहनत की। मैच से पहले वजन घटाने के लिए उन्होंने जिम, जॉगिंग और विंडचीटर जैकेट पहनकर कड़ी ट्रेनिंग की।

वजन घटाने की रणनीति

अमन ने अपने वजन घटाने की रणनीति पर बात करते हुए बताया कि वह जानते थे कि सही वजन पर बने रहना उनके लिए कितना महत्वपूर्ण था। मैच से पहले वह न केवल जिम में पसीना बहाते थे, बल्कि विंडचीटर जैकेट पहनकर जॉगिंग भी करते थे, जिससे उन्हें जल्दी से वजन घटाने में मदद मिली। उनका यह समर्पण और अनुशासन उन्हें ब्रॉन्ज मेडल तक पहुंचाने में अहम साबित हुआ।

मैच के दौरान मानसिक तैयारी

अमन ने इंटरव्यू में बताया कि मैच के दौरान उनकी मानसिक तैयारी ने भी उन्हें सफलता दिलाई। वह अपने विपक्षी को हराने के लिए पूरी तरह से मानसिक रूप से तैयार थे। अमन ने कहा, “मैंने अपने हर मुकाबले में शांत और केंद्रित रहने की कोशिश की, क्योंकि रेसलिंग में मानसिक स्थिति का बहुत बड़ा रोल होता है।”

ओलंपिक में पहली बार ऐसा इतिहास

पेरिस ओलंपिक 2024 में अमन का यह मेडल न केवल उनके व्यक्तिगत करियर का मील का पत्थर है, बल्कि भारतीय ओलंपिक इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इससे पहले इस वजन वर्ग में किसी भी भारतीय पहलवान ने ओलंपिक पदक नहीं जीता था। अमन की इस उपलब्धि ने उन्हें भारत के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना दिया है, खासकर युवा पहलवानों के लिए जो उनके नक्शे-कदम पर चलना चाहते हैं।

अमन सहरावत का संदेश

अमन ने अपने संघर्ष और मेहनत की कहानी के साथ उन सभी युवाओं को प्रेरित किया है जो खेल में करियर बनाने का सपना देख रहे हैं। उनका संदेश है, “सपने देखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना। अपने लक्ष्य पर फोकस बनाए रखें और कभी हार न मानें।”

निष्कर्ष

अमन सहरावत की कहानी सिर्फ एक ओलंपिक मेडल जीतने की नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, अनुशासन और अटूट आत्मविश्वास की कहानी है। पेरिस ओलंपिक 2024 में उनकी यह उपलब्धि भारतीय खेल जगत में एक नई प्रेरणा का संचार करती है और भविष्य के युवा पहलवानों के लिए एक मिसाल कायम करती है। अमन का यह सफर भारतीय रेसलिंग के इतिहास में हमेशा यादगार रहेगा।

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