समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6अगस्त। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को कहा कि भू-राजनीतिक गतिशीलता और तकनीकी प्रगति के कारण युद्ध की प्रकृति और स्वरूप में तेजी से बदलाव हो रहा है, जिसके चलते वित्तीय प्रक्रियाओं में भी परिवर्तन अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह बयान नई दिल्ली में आयोजित एक उच्च-स्तरीय सम्मेलन में दिया, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों से संबंधित वित्तीय मामलों में सामंजस्य और तालमेल बढ़ाना था।
वित्तीय प्रक्रियाओं में बदलाव की जरूरत
जनरल चौहान ने कहा, “युद्ध की प्रकृति अब गैर-रेखीय और गैर-पूर्वानुमानित हो गई है। इसलिए हमें अपनी वित्तीय प्रक्रियाओं को भी इसी तरह से अनुकूलित करना होगा।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बदलते युद्ध क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय प्रक्रियाओं को अपडेट करना अत्यंत आवश्यक है।
राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक हितों की रक्षा
सीडीएस ने सभी हितधारकों से राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा करना विकसित भारत का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।” इसके लिए, उन्होंने एकजुटता और तालमेल के साथ काम करने की अपील की।
सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख अधिकारी
इस सम्मेलन में सेना मुख्यालयों के उप प्रमुखों, तटरक्षक मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय अधिग्रहण, रक्षा मंत्रालय वित्त, सीजीडीए और सभी प्रमुख एकीकृत वित्तीय सलाहकारों के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। सम्मेलन का संचालन आईडीएस मुख्यालय द्वारा किया गया, जिसमें रक्षा खरीद में दक्षता में सुधार पर विशेष ध्यान दिया गया।
उद्घाटन भाषण और प्रमुख मुद्दे
एकीकृत रक्षा स्टाफ (पीपी एंड एफडी) के उप प्रमुख वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने अपने उद्घाटन भाषण में रक्षा खरीद की पेचीदगियों को उजागर किया। वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएँ) श्री सुगाता घोष दस्तीदार ने आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने पर जोर दिया, जिसमें विदेशी निर्भरता को कम करने और रक्षा में अनुसंधान और विकास के लिए शिक्षाविदों के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
सामंजस्य और तालमेल बढ़ाने पर विचार-विमर्श
सम्मेलन में सभी हितधारकों ने सामंजस्य और तालमेल बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया। सेवा मुख्यालयों ने सार्वजनिक खरीद में अपनी-अपनी चुनौतियों को साझा किया और उन्हें दूर करने के उपायों पर चर्चा की। पीआईएफए ने पूंजी और राजस्व खरीद के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सक्रिय रूप से भाग लिया। रक्षा मंत्रालय वित्त द्वारा सकारात्मक सुझाव और सिफारिशें दी गईं।
सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियाँ
सम्मेलन की कुछ प्रमुख उपलब्धियों में परिणामोन्मुखी बजट, शीघ्र खरीद, और वित्तीय औचित्य का महत्व शामिल था। इन प्रमुख बिंदुओं को अनुमोदन के लिए रक्षा मंत्रालय को भेजा जाएगा। यह पहल राष्ट्रीय सुरक्षा और सशस्त्र बलों की प्रभावशीलता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इस प्रकार, यह सम्मेलन सशस्त्र बलों और वित्तीय प्रक्रियाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इससे देश की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी, जिससे भारत वैश्विक परिदृश्य में अपनी स्थिति को और मजबूती प्रदान कर सकेगा।