बांग्लादेश में हिंसा का कहर: नौकरी में आरक्षण खत्म करने और शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर मचे बवाल में 100 से अधिक लोगों की मौत

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5 अगस्त। बांग्लादेश में नौकरी में आरक्षण खत्म करने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच हिंसक झड़पों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक इस हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे देशभर में अशांति और भय का माहौल बन गया है।

हिंसा का कारण

बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण की नीति को खत्म किया जाए और प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा दें। प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे हैं कि आरक्षण की नीति से योग्य उम्मीदवारों को न्याय नहीं मिल पा रहा है और भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।

हिंसक झड़पें

प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के बीच लगातार हिंसक झड़पें हो रही हैं। राजधानी ढाका समेत कई प्रमुख शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके जवाब में पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों ने बल का प्रयोग किया।

मौतों की बढ़ती संख्या

इस हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। मरने वालों में प्रदर्शनकारी, पुलिसकर्मी और निर्दोष नागरिक भी शामिल हैं। अस्पतालों में घायलों की संख्या बढ़ने से चिकित्सा सुविधाएं भी प्रभावित हो रही हैं।

सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने देशभर में कर्फ्यू लगा दिया है और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं ताकि अफवाहों और भ्रामक सूचनाओं को फैलने से रोका जा सके। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि सरकार उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तैयार है।

विपक्ष का आरोप

विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बर्बरता कर रही है और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है। विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से इस्तीफा देने की मांग की है और देश में नए चुनाव कराने का आह्वान किया है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने हिंसा की निंदा की है और सभी पक्षों से शांति और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने की अपील की है।

निष्कर्ष

बांग्लादेश में नौकरी में आरक्षण खत्म करने और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर हो रही हिंसा ने देश को संकट में डाल दिया है। अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत और सैकड़ों लोगों के घायल होने से स्थिति और गंभीर हो गई है। सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत और समझौते की सख्त जरूरत है ताकि देश में शांति और स्थिरता लौट सके। इस कठिन समय में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है, जो दोनों पक्षों को बातचीत के लिए प्रेरित कर सकती है।

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