समग्र समाचार सेवा
भोपाल, 2अगस्त। मध्य प्रदेश से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां बच्चों ने अपने ही माता-पिता पर प्रताड़ना का केस दर्ज कराया है। हालांकि, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने दंपति को राहत देते हुए निचली अदालत में इस मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी है।
माता-पिता पर गंभीर आरोप
दंपति अपनी दो संतानों द्वारा लगाए गए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। यह मामला किसी और ने नहीं, बल्कि उनके 21 वर्षीय बेटी और 8 वर्षीय बेटे ने ही दर्ज कराया है। बच्चों ने आरोप लगाया है कि उनके माता-पिता उन्हें टीवी देखने से रोकते हैं, उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं देते, और अक्सर उन्हें छड़ी से पीटते हैं।
उच्च न्यायालय की राहत
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया ने दंपति की याचिका पर 25 जुलाई को जिला अदालत में विचाराधीन मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी। न्यायालय ने दंपति की याचिका की अगली सुनवाई के लिए 9 सितंबर की तारीख तय की है।
इन धाराओं में किया गया केस
अधिकारियों के अनुसार, 21 वर्षीय युवती और उसके 8 वर्षीय भाई की शिकायत पर शहर के चंदन नगर पुलिस थाने में उनके माता-पिता के खिलाफ 25 अक्टूबर 2021 को भारतीय दंड संहिता और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
बच्चों के आरोप
प्राथमिकी में भाई-बहन ने आरोप लगाया था कि उनके माता-पिता उन्हें भोजन नहीं देते, टीवी देखने नहीं देते और बात-बात पर उन्हें छड़ी से पीटते हुए उनके साथ गाली-गलौज करते हैं। प्राथमिकी में दंपति पर यह आरोप भी लगाया गया था कि वे अपने 8 वर्षीय बेटे को घर के अंधेरे कमरे में बंद कर देते हैं, जिससे वह बुरी तरह खौफजदा है।
घर से भागे बच्चे
प्राथमिकी के अनुसार, दंपति की कथित प्रताड़ना के कारण, बच्चे जून 2021 में अपने घर से भागकर अपनी बुआ के साथ रहने आ गए थे। बच्चों का आरोप है कि उन्हें उनके माता-पिता से लगातार डर बना रहता था, जिसकी वजह से वे घर छोड़ने पर मजबूर हो गए।
अगली सुनवाई 9 सितंबर को
उच्च न्यायालय ने दंपति की याचिका की अगली सुनवाई 9 सितंबर को करने का निर्णय लिया है। दंपति के वकील धर्मेंद्र चौधरी ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने जिला अदालत में उनके पक्षकारों के खिलाफ आरोप पत्र पेश कर दिया था और मुकदमे की सुनवाई भी शुरू हो गई थी।
माता-पिता का पक्ष
दंपति के वकील धर्मेंद्र चौधरी का कहना है कि उनके मुवक्किलों ने बच्चों के भले के लिए कुछ सख्ती बरती थी, लेकिन बच्चों ने इसे गलत समझा। उन्होंने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर बच्चों के आरोपों को खारिज करने की मांग की है।
यह मामला परिवार और समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। न्यायालय की अगली सुनवाई का इंतजार है, जिसमें इस विवादित मामले पर आगे की दिशा निर्धारित होगी।