समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29जुलाई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाने को लेकर बड़ा बयान दिया है। जयशंकर ने तोक्यो में कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का समाधान किसी तीसरे देश की मदद से नहीं हो सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे का हल भारत और चीन को मिलकर ही निकालना होगा।
एस जयशंकर ने कहा, “चीन के साथ हमारा एक मुद्दा है और इसका समाधान हमें ही निकालना होगा।” वह अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जापान की विदेश मंत्री योको कामिकावा और ऑस्ट्रेलिया की पेनी वोंग के साथ ‘क्वाड’ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए तोक्यो में हैं।
चीन के विदेश मंत्री से एक महीने में हुई दो बैठकें
जयशंकर ने बीते गुरुवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में उन्होंने बीजिंग के साथ द्विपक्षीय संबंधों में स्थायित्व लाने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तथा पिछले समझौतों का ‘‘पूर्ण सम्मान’’ सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। यह जयशंकर और वांग की इस महीने की दूसरी मुलाकात थी।
‘चीन के साथ हमारे संबंध अच्छे नहीं’
जयशंकर ने कहा, “चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे नहीं चल रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि 2020 में कोविड के दौरान चीन ने सीमा क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सेनाएं भेजीं, जो हमारे समझौतों का उल्लंघन था और इससे तनाव पैदा हुआ।”
उन्होंने कहा, “इसका परिणाम अभी भी जारी है क्योंकि यह मुद्दा पूरी तरह से हल नहीं हुआ है। चीन के साथ अभी संबंध अच्छे नहीं हैं। एक पड़ोसी के रूप में, हम बेहतर संबंधों की उम्मीद करते हैं, लेकिन यह तभी हो सकता है जब वे नियंत्रण रेखा का सम्मान करें और अतीत में हस्ताक्षर किए गए समझौतों का पालन करें।”
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर क्या कहा?
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर विदेश मंत्री ने कहा, “शुरू से ही हमारा मानना था कि बल प्रयोग से देशों के बीच समस्याओं का समाधान नहीं होता। इस संघर्ष ने पिछले 2-2.5 वर्षों में लोगों की जान ली है, आर्थिक क्षति की है, वैश्विक परिणाम हुए हैं और वैश्विक मुद्रास्फीति में योगदान दिया है।”
उन्होंने कहा, “हमें नहीं लगता कि युद्ध के मैदान में इसका समाधान हो पाएगा। हमें संवाद और कूटनीति की ओर लौटना चाहिए। संघर्ष की वर्तमान स्थिति को जारी रखने के लिए खुद को तैयार नहीं करना चाहिए।”