केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया इसरो का खास प्लान, कहा- भारतीय अंतरिक्ष यात्री जल्द जाएंगे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27जुलाई। भारत जल्द ही अपने पहले अंतरिक्ष यात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में भेजने की तैयारी कर रहा है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में इस महत्वाकांक्षी योजना का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक गगनयात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करेगा। यह मिशन इसरो, नासा और एक निजी कंपनी, Axiom Space, के बीच एक संयुक्त प्रयास होगा। इसरो ने Axiom Space के साथ इस मिशन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, और इसे अगस्त 2024 में फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च करने की योजना है।
अगस्त में ‘गगनयात्री’ का स्पेस मिशन
इसरो के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि नासा और Axiom Space ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए चौथे प्राइवेट अंतरिक्ष यात्री मिशन के ऑर्डर पर साइन किए हैं। इसे फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से अगस्त 2024 के पहले लॉन्च किए जाने की संभावना नहीं है। इंटरनेशनल स्पेस मिशन के लिए चुने गए गगनयात्री, उन चार भारतीय वायु सेना पायलटों में से एक होंगे, जिन्हें गगनयान मिशन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
क्या है पूरा प्लान, मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया
इसरो के एक बोर्ड ने इन चार पायलटों को गगनयान मिशन के लिए चुना है। इन पायलटों ने रूस में अंतरिक्ष यात्रा के बेसिक मॉड्यूल पर प्रशिक्षण लिया है। फिलहाल, ये सभी गगनयान मिशन के लिए बेंगलुरु में इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में ट्रेनिंग कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि गगनयान प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीन में से दो सेमेस्टर पूरे हो चुके हैं। ट्रेनिंग के लिए जरूरी सिमुलेटर और स्टेटिक मॉकअप भी तैयार हैं। मानव को अंतरिक्ष में ले जाने वाले रॉकेट के कुछ हिस्से भी तैयार हैं। टीएमसी सांसद सौगत राय के लोकसभा में पूछे गए एक सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने यह जानकारी दी।
गगनयान प्रोजेक्ट से पहले यह खास मिशन
गगनयान प्रोजेक्ट इसरो का एक महत्वाकांक्षी मिशन है, जिसके तहत तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिन के लिए भेजा जाएगा और उन्हें सुरक्षित वापस धरती पर लाया जाएगा। यह मिशन 2025 में लॉन्च होने की उम्मीद है। गगनयान प्रोजेक्ट भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत को मानव को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता रखने वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल करेगा। इस मिशन से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की स्थिति और अधिक मजबूत होगी।