किसान पिता और किराने की दुकानदार माँ की बिटिया ने IFS बनकर गर्व से ऊंचा किया सिर, UPSC में पाई थी 7वीं रैंक
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31मई। यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक है. इसकी तैयारी के लिए सालों मेहनत करनी पड़ती है. तैयारी के दौरान कई तरह की चुनौतियों को झेलना पड़ता है. लेकिन कई उम्मीदवार अपनी मेहनत और हौसले के दम बड़े-बड़े कारनामे कर देते हैं, जिसकी मिसाल लोग सालों तक देते हैं. अपनी किस्मत लिखने का काम करने वाले को दुनिया हमेशा सलाम करती है. जब किसी को सही मार्गदर्शन और मानसिक रूप से सपोर्ट करने वाला मिल जाए तो इंसान कुछ भी कर सकता है. आइये कर्नाटक के एक छोटे से गांव की रहने वाली काव्या वाई.एस के बारे में जानते हैं, जो अपनी मां से प्रेरित होकर UPSC IFS में 7वीं रैंक हासिल कर सबके लिए प्रेरणा बन गई हैं.
UPSC IFS में 7वीं रैंक हासिल करने वाली काव्या कौन हैं?
यूपीएससी आईएफएस में 7वीं रैंक हासिल करने वाली काव्या कर्नाटक के चिकमगलुरु की रहने वाली हैं. काव्या ने बहुत पहले ही आईएएस बनने की ठान ली थी. लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन और सपोर्ट नहीं मिलने के कारण वे कई बार असफल रहीं. उन्होंने इस बीच में चार साल तक प्राइवेट नौकरी भी की. उन्होंने पहला प्रयास 2017 में किया था जिसमें सफलता नहीं मिल पाई थी. इसके बाद 2019 में इंटरव्यू तक पहुंची लेकिन वहां भी सफलता नहीं मिल पाई थी. उन्होंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और अपनी तैयारी जारी रखी. उन्होंने फिर से प्रयास किया लेकिन इस बार पिछले बार से भी खतरनाक असफलता हाथ लगी.
बता दें कि इस बार वे प्रीलिम्स भी क्रैक नहीं कर पाईं. इसके बाद वे बहुत ज्यादा निराश हुईं और उन्होंने तय किया की अब वे यूपीएससी की तैयारी नहीं करेंगी. लेकिन उनकी मां उनके लिए गुरु से भी बढ़कर मार्गदर्शन देने का काम किया. उनकी मां ने उन्हें धैर्य, आत्मविश्वास और मेहनत पर यकीन करने का हुनर सिखाया. उन्होंने काव्या को हौसला दिया जिससे प्रेरित होकर काव्या ने फिर से तैयारी शुरू कर दी. इस बार काव्या इसी आत्मविश्वास के दम पर यूपीएससी आईएफएस में 7वीं रैंक हासिल कर ऑफिसर बन गईं.
गांव के एक किसान की बेटी है काव्या
आईएफएस काव्या कर्नाटक के चिकमगलूर के यारदाकेरे गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने 7वीं क्लास तक की पढ़ाई गांव के स्कूल में पूरी की. वहीं दसवीं की पढ़ाई शहर में जाकर पूरी की. उनके पिता जी गांव के एक किसान हैं और उनकी मां गांव में एक छोटी सी किराने की दुकान के सहारे घर चलाती हैं. उनकी मां सिर्फ 5वीं तक पढ़ी हैं.