सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को लगाई फटकार,कहा – ‘जंगल की आग पर काबू पाने का रवैया निराशाजनक’

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समग्र समाचार सेवा
देहरादून,15 मई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर एक याचिका को लेकर सुनवाई की है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यह कहते हुए दुख हो रहा है कि जंगल की आग को नियंत्रित करने में राज्य का दृष्टिकोण ‘असुविधाजनक’ था।

न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 17 मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। पीठ में न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी और न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि हालांकि, कई कार्य योजनाएं तैयार की जाती हैं, लेकिन उनके कार्यान्वयन के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है।’ शीर्ष अदालत ने राज्य के वन विभाग में भारी रिक्तियों के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है।

हम आग बुझाने में लगे हैं- उत्तराखंड सरकार
याचिकाकर्ता राजीव दत्ता ने कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट बिजली उत्पादन के लिए पाइन नीडल का उपयोग कर रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि कुमाऊं रेजिमेंट से सीख क्यों नहीं लेते? उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमारे आधे कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने वन अग्नि कर्मचारियों को आग के बीच चुनाव ड्यूटी पर क्यों लगाया? राज्य सरकार ने कहा कि ये पहले चरण में था, अब चुनाव ड्यूटी खत्म हो चुकी है क्योंकि मुख्य सचिव ने हमें निर्देश दिया है कि वन विभाग के किसी भी अधिकारी को चुनाव ड्यूटी पर न लगाया जाए, हम अब से यह आदेश वापस ले रहे हैं।

याचिकाकर्ता व वकील राजीव दत्ता ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर जंगलों में आग लगाकर पेड़ों से निकलने वाला चारकोल बेचते हैं। वहां यह धंधा जोरों पर है और आग लगाने के आरोप में पकड़े गए लोग तो महज गुर्गे ही हैं। उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हम आग बुझाने में लगे हैं, जिसमें 9 हजार से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं. साथ जंगल में आग लगाने के मामले मे 420 मुकदमे दर्ज किए हैं। मुख्यमंत्री हर दूसरे दिन अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति का जायजा ले रहे हैं।

‘केंद्र से अब तक फंड रिलीज नहीं हुआ’
उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र से अब तक फंड रिलीज नहीं हुआ है, जिसका इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट की ओर से नियुक्त न्यायमित्र वकील परमेश्वर ने कहा कि इस बाबत राष्ट्रीय स्तर पर एक्शन प्लान बना हुआ है, लेकिन समय पर एक्शन न हो तो सिर्फ प्लान का क्या फायदा? समुचित मानवीय संसाधन चाहिए। जस्टिस संदीप मेहता ने कहा कि सैटलाइट तस्वीरों में भी आग लगी हुई है। उत्तराखंड सरकार ने सुझाव देते हुए कहा कि केंद्र को भी इसमें शामिल करते हुए एक समिति बना दी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के चीफ सेक्रेटरी को तलब किया है और 17 मई को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने कैंपा फंड के तहत उत्तराखंड सरकार को 9.2 करोड़ दिया गया है, जिसमें से मात्र 2 करोड़ रुपए ही उत्तराखंड सरकार ने खर्च किए हैं।

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