सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा CAA का मामला, मुस्लिम लीग ने की कानून पर रोक लगाने की मांग

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 12मार्च। देश में नागरिक संशोधन कानून (CAA) को पारित होने के बाद जगह-जगह पर कई समुदाय इस कानून के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. वहीं मंगलवार (12 मार्च) को इंडियन मुस्लिम लीग ने इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की है वहीं इस कानून पर रोक लगाने की मांग की है.

मुस्लिम लीग द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत देश में अलग-अलग धर्मों के बीच भेदभाव किया जा रहा है. केवल कुछ ही धर्मों के लोगों को इस कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी, जो भारत के संविधान के खिलाफ है.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज करते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने कहा, कि देश में इस कानून के जरिए शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी वो इस बात के खिलाफ नहीं हैं वो बल्कि इस बात के खिलाफ हैं कि इस कानून के लागू होने के बाद केवल मुस्लिम समुदाय को नागरिकता के अधिकार से वंचित रखा गया है. आखिर भारत जैसे देश में अलग-अलग समुदायों के बीच ये भेदभाव किया जा रहा है.

क्यों किया जा रहा है CAA का विरोध?
सोमवार शाम को संसद में CAA अधिसूचना जारी होने के बाद से ये नोटिफिशन जारी किया गया है कि वो गैर-मुस्लिम शरणार्थी जो 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में रह रहें हैं, उनको भारत की नागरिकता दी जाएगी. गैर-मुस्लिम शरणार्थियों में 6 धर्म के लोग शामिल होंगे ये धर्म हैं- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई वहीं मुस्लिम समुदायों को ये नागरिकता नहीं दी जाएगी. इसी बात को लेकर लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है.

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