आईआईएम मुंबई को विकसित भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभानी होगी – धर्मेंद्र प्रधान

धर्मेंद्र प्रधान ने आईआईएम मुंबई के पहले दीक्षांत समारोह में लिया भाग

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 27 जनवरी। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) मुंबई के पहले दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस कार्यक्रम में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक और सीईओ आशीष कुमार चौहान; आईआईएम मुंबई के निदेशक प्रो. मनोज के. तिवारी; आईआईएम मुंबई के निदेशक मंडल के अध्यक्ष शशि किरण शेट्टी के साथ ही कई शिक्षाविद्, प्रोफेसर, अन्य गणमान्य व्यक्ति और छात्र भी उपस्थित थे। धर्मेंद्र प्रधान ने आईआईएम मुंबई के नए लोगो और संस्थान के छात्रावास का भी डिजिटल तरीके से अनावरण किया।

दीक्षांत समारोह में अपने संबोधन में धर्मेंद्र प्रधान ने छात्रों को डिग्री प्राप्त करने पर बधाई दी। उन्होंने एनआईटीआईई को आईआईएम में परिवर्तित करके मुंबई की एक बिजनेस स्कूल की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की पहल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संस्थान का यह नाम बदलना प्रतीकात्मक से कहीं अधिक है क्योंकि यह परिवर्तन का उत्प्रेरक है जो बेहतरीन मानव संसाधन पैदा करेगा।

धर्मेंद्र प्रधान ने वहां मौजूद सभी लोगों को यह याद दिलाया कि कैसे प्रधानमंत्री ने ‘जेनजेड’ को अमृत पीढी नाम दिया है। उन्होंने कहा कि यह पीढ़ी सामाजिक-आर्थिक बदलाव की उत्प्रेरक है और अगले 25 वर्षों के लिए वैश्विक और सामाजिक मुद्दों पर समाधान प्रदाता बनने की इन पर जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा में गरीबों, वंचित समुदायों और महिलाओं की भागीदारी में रिकॉर्ड सुधार देखा गया है, जो ज्ञान-संचालित समाज का संकेतक है।

धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर भी जोर दिया कि युवाओं को नौकरी की चाह रखने वाला बनकर संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि नौकरी प्रदाता बनने का प्रयास करना चाहिए, जैसा कि राष्ट्र शिक्षा नीति 2020 में कल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि यह उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करने और नए यूनिकॉर्न कंपनी बनाने का सही समय है।

उन्होंने सभी से उन विचारों को आगे ले जाने के लिए एक परितंत्र विकसित करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया जो भविष्य की यूनिकॉर्न कंपनी में बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस संस्थान को देश के शीर्ष बिजनेस स्कूल के रूप में उभरने की दिशा में काम करना चाहिए। धर्मेंद्र प्रधान ने यह आशा भी व्यक्त की कि यह संस्थान उत्कृष्टता का वैश्विक केंद्र और चरित्र निर्माण तथा राष्ट्र निर्माण का संस्थान बन जाएगा।

छात्रों को विशेष रूप से संबोधित करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने उनसे वैश्विक समुदाय के प्रति ‘कर्तव्य बोध’ (कर्तव्य की भावना) का एहसास करने और इस लक्ष्य को साकार करने के लिए एकजुट प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बनने के लिए संस्थान को विकसित भारत के निर्माण में अपनी जिम्मेदारी और अपनी भूमिका निभानी होगी।

आईआईएम मुंबई के निदेशक मंडल के अध्यक्ष शशि किरण शेट्टी ने अपने संबोधन में कहा कि आईआईएम मुंबई अनुसंधान और उद्योग जगत से संपर्क साधने के काम में तेजी लाएगा। प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी ने एनआईटीआईई का नाम बदलकर आईआईएम मुंबई करने में भूमिका के लिए प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री, विशेष समिति के अध्यक्ष आशीष कुमार चौहान और बीओजी आईआईएम मुंबई के अध्यक्ष को धन्यवाद दिया। उन्होंने संस्थान का रिपोर्ट कार्ड भी साझा किया।

इस कार्यक्रम में कुल 1013 छात्रों ने डिग्री प्राप्त की। इनमें 32 फेलो छात्र, पीजीडीआईई, पीजीडीआईएम, पीजीडीएमएम, पीजीडीपीएम और पीजीडीएसएम जैसे सभी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के 955 स्नातकोत्तर छात्र और 26 वीएलएफएम छात्र शामिल हैं।

1963 में स्थापित भारतीय प्रबंधन संस्थान मुंबई (आईआईएम मुंबई) शैक्षिक उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में खड़ा है, जिसने देश के शैक्षिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ जुड़ने की प्रतिबद्धता के साथ, आईआईएम मुंबई को लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में क्षमता निर्माण के लिए नोडल केंद्र के रूप में नामित किया गया है, जो शिक्षा मंत्रालय द्वारा पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है। आईआईएम मुंबई तीन एमबीए पाठ्यक्रम, उद्योग की जरूरतों को पूरा करने वाले एक्जीक्यूटिव कार्यक्रमों के साथ ही वैश्विक और राष्ट्रीय प्रमाणन पाठ्यक्रम चलाता है।

कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Leave A Reply

Your email address will not be published.