राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए 55 देशों के नेताओं को न्योता, राजदूत भी बनेंगे कार्यक्रम का हिस्सा: विश्व हिंदू फाउंडेशन

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समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 16 जनवरी। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसी ऐतिहासिक दिन को नवनिर्मित मंदिर में रामलला विराजमान होंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा, सियासत से लेकर खेल और अध्यात्म से जुड़ी तमाम हस्तियों को भी कार्यक्रम में आने का न्योता मिला है। वहीं, 55 देशों के करीब 100 प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया है।

विश्व हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक एवं वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद का कहना है कि 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए राजदूतों और सांसदों सहित 55 देशों के लगभग 100 प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। इनके अलावा, कोरियाई रानी को भी आमंत्रित किया गया है, जो प्रभु राम के वंशज होने का दावा करती हैं।

इन देशों को दिया न्योता
जिन देशों को आमंत्रित किया गया है उनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, बेलारूस, बोत्सवाना, कनाडा, कोलंबिया, डेनमार्क, डोमिनिका, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी), मिस्र, इथियोपिया, फिजी, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, घाना, गुयाना, हॉन्गकॉन्ग, हंगरी, इंडोनेशिया, आयरलैंड, इटली, जमैका, जापान, केन्या, कोरिया, मलेशिया, मलावी, मॉरीशस, मैक्सिको, म्यांमार, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया, नॉर्वे, सिएरा लियोन, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इनके अलावा, स्पेन, श्रीलंका, सूरीनाम, स्वीडन, ताइवान, तंजानिया, थाईलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो, वेस्ट इंडीज, युगांडा, यूके, यूएसए, वियतनाम और जाम्बिया को भी न्योता भेजा गया है।

विहिप के संयुक्त महासचिव स्वामी विज्ञानानंद के अनुसार, कई देशों के प्रमुख राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि सभी वीवीआईपी विदेशी प्रतिनिधि 20 जनवरी को लखनऊ पहुंचेंगे। उसके बाद 21 जनवरी को शाम तक अयोध्या पहुंच जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘कोहरे को देखते हुए प्रतिनिधियों से कार्यक्रम से पहले भारत आने का अनुरोध किया गया है।’ स्वामी विज्ञानानंद ने पहले कहा था कि उन्होंने अधिक विदेशी मेहमानों को आमंत्रित करने की योजना बनाई थी, लेकिन छोटी जगह के कारण, उन्हें अतिथि सूची को छोटा करना पड़ा।

बीएपीएस स्वामीनारायण को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए निमंत्रण मिला
अहमदाबाद स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था को अयोध्या में राम मंदिर में प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण मिला है। संस्था के संतों का एक समूह 22 जनवरी को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल होगा। संस्था ने संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में एक भव्य मंदिर भी बनाया है, जिसका उद्घाटन 14 फरवरी को पीएम मोदी करेंगे।

भारत में इन लोगों को दिया आमंत्रण
आइए जानते हैं कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए देश के कितने नेताओं को निमंत्रण दिया गया है? वो लोग कौन हैं, जिन्होंने न्योते को अस्वीकार कर दिया है?

किन नेताओं को निमंत्रण मिला है?
राम मंदिर की भव्य प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समारोह में शामिल होंगे। दूसरी ओर राष्ट्रीय और अन्य प्रमुख दलों के नेताओं और प्रतिनिधियों को निमंत्रण भेजा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण भेजा गया था।

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह और एचडी देवेगौड़ा को भी न्योता मिला है। वीएचपी ने राजद में लालू प्रसाद यादव से समय मांगा है। आने वाले दिनों में अन्य विपक्षी नेताओं को भी निमंत्रण भेजे जाने की संभावना है।

किन नेताओं ने न्योते को नकारा?
‘इंडिया’ के कई नेताओं ने घोषणा कि है कि वो कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेंगे। बुधवार को ही कांग्रेस ने घोषणा कि वह इस समारोह का हिस्सा नहीं होगी। पार्टी के नेता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि यह कार्यक्रम भाजपा और संघ का है। यहां आधे-अधूरे मंदिर का उद्घाटन किया जा रहा है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने न्योते को अस्वीकार करने के संकेत दिए हैं। बताया जा रहा है कि विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार द्वारा उन्हें निमंत्रण भेजा गया था। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण पर सवाल पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा कि मैं उन्हें नहीं जनता, न कभी उनसे मुलाकात हुई। हम जिनको जानते हैं उन्हीं से व्यवहार लेते हैं।

इससे पहले सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने का निमंत्रण ठुकरा दिया था। पार्टी ने कहा है कि वे धार्मिक कार्यक्रम के राजनीतिकरण के विरोध में समारोह में शामिल नहीं होंगे।

इसके अलावा पूर्व कांग्रेस नेता और राज्यसभा संसद कपिल सिब्बल ने भी कहा है कि वह इसमें शामिल नहीं होंगे। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कार्यक्रम में शिरकत नहीं करेंगी।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना भी समारोह में शिरकत नहीं करेगी। पार्टी के नेता और सांसद संजय राउत ने कहा, ‘यह भाजपा के वर्चस्व वाला कार्यक्रम है। हमारा कोई भी कार्यकर्ता इसमें हिस्सा नहीं लेगा।’

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