समग्र समाचार सेवा
कोलकाता,13 जनवरी।अंदरखाने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी का कांग्रेस के साथ ‘गठबंधन वार्ता’ शुरू की है। हाल ही में ‘बैक चैनल’ चर्चा में तृणमूल नेतृत्व ने कांग्रेस से कहा कि वे अधिक से अधिक तीन सीटें छोड़ सकती है। इस तीन सीटों के बदले कांग्रेस को असम और मेघालय तीन सीटें देनी होगी। कांग्रेस गठबंधन समिति से अलग से बैठक के लिए ममता अपनी पार्टी के किसी नेता को दिल्ली नहीं भेजेंगी।
टीएमसी ने दो सीटों का दिया प्रस्ताव
तृणमूल सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस को बता दिया गया है कि पिछली लोकसभा चुनाव में जीती दो सीटों (बहरामपुर और मालदा दक्षिण) पर तृणमूल अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी। कांग्रेस ने जवाब दिया कि दो की संख्या बहुत कम है। इस पर तृणमूल की ओर से कहा गया कि अगर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ममता बनर्जी से सीधा अनुरोध करें तो एक और सीट (जहां पिछली बार भाजपा जीती थी) कांग्रेस को दी जा सकती है।
कांग्रेस को कैसे मिल सकती है एक अतिरिक्त सीट?
तृणमूल इस अतिरिक्त सीट की पहचान ‘शिष्टाचार सीट’ के रूप में कर रही है। उस स्थिति में तृणमूल मेघालय (जहां तृणमूल का मतदान प्रतिशत कांग्रेस से अधिक है) और असम में कांग्रेस से दो सीटें मांग रही है। हालांकि, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव या शिवसेना के संजय राउत जैसा कोई भी तृणमूल नेता कांग्रेस राष्ट्रीय गठबंधन समिति के साथ बैठक करने के लिए दिल्ली नहीं जाएगा।
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के मुताबिक, अगर बंगाल, दिल्ली और पंजाब को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी राज्यों में विभिन्न विपक्षी दलों के बीच ‘आईएनडीआईए’ गठबंधन में सहमति बन जाएगी। इन तीनों राज्यों में आप और तृणमूल के साथ चर्चा और बातचीत चल रही है। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आशावादी है कि बंगाल में तृणमूल के साथ सीटों का समझौता हो जाएगा। इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
कांग्रेस को तृणमूल के साथ गठबंधन की उम्मीद
कांग्रेस आलाकमान ने पहले ही देश भर की 543 सीटों के साथ-साथ बंगाल की 42 लोकसभा सीटों के प्रत्येक पर एक-एक समन्वयक नियुक्त कर दिया है। बंगाल के समन्वयकों को प्रशिक्षण के लिए शुक्रवार को दिल्ली बुलाया गया था। इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी द्वारा लगातार ममता पर किए जा रहे हमलों को लेकर तृणमूल में काफी गुस्सा है।
कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व भी अधीर से बात कर रहा है, जिसका अर्थ है कि आईएनडीआईए को अपने सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलना चाहिए। हालांकि इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि अधीर को बंगाल में अपना वोट बैंक बरकरार रखने के लिए राजनीति भी करनी है। कांग्रेस के साथ सीटों की बातचीत में शामिल एक शीर्ष तृणमूल नेता का कहना है कि हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा को हराने के लिए एकजुट होकर लड़ने में हमें कोई आपत्ति नहीं है।
अब तक किसी भी तृणमूल सांसद, विधायक या मंत्री ने ‘आईएनडीआईए’ मंच या कांग्रेस के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है। साथ ही कांग्रेस को यह भी बता दिया गया है कि उन्हें बंगाल की राजनीतिक हकीकत और सीमाओं को समझना होगा। वे बंगाल में बहुत कमजोर हैं। 39 निर्वाचन क्षेत्रों में उनका वोट प्रतिशत चार से कम है। एक में 10 प्रतिशत से कम है। दोनों जीते हुए हैं।