आप नेता राघव चड्ढा की राज्यसभा सदस्यता 115 दिन बाद हुई बहाल, SC तक पहुंचा था मामला

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 4दिसंबर। आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा की राज्यसभा सदस्यता 115 दिन बाद बहाल हो गई है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने राघव चड्ढा का राज्यसभा से निलंबन आज सोमवार को रद्द कर दिया.

चड्ढा की सदस्यता संसद के मानसून सत्र के दौरान निलंबित कर दी गई थी, जिसे भाजपा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव के बाद रद्द कर दिया गया था. निलंबन का सामना करते हुए चड्ढा ने उच्च सदन से अपने अनिश्चितकालीन निलंबन को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चड्ढा को जगदीप धनखड़ से मिलने और बिना शर्त माफी मांगने को कहा.

आप नेता के निलंबन मामले पर चर्चा के लिए आज दोपहर संसद में राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक हुई. राघव चड्ढा ने एक वीडियो संदेश में कहा, “सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण मेरा निलंबन (राज्यसभा सदस्य के रूप में) रद्द कर दिया गया.”

सदन में एक प्रस्ताव लाकर निलंबन रद्द कर दिया गया. मुझे 115 दिनों तक निलंबित रखा गया और इस दौरान मैं लोगों से सवाल नहीं पूछ सका. आज मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय और राज्यसभा सभापति को धन्यवाद देता हूं.

चड्ढा को शिकायतों के बाद “विशेषाधिकार के उल्लंघन” के लिए इस साल 11 अगस्त को उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था. सांसद पर आरोप था कि उन्होंने पांच राज्यसभा सांसदों का नाम प्रवर समिति में शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं ली थी. उन्हें तब तक निलंबित कर दिया गया था, जब तक कि विशेषाधिकार समिति ने राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में पांच सांसदों के जाली हस्ताक्षर करने के आरोप पर अपना निष्कर्ष प्रस्तुत नहीं किया.

चड्ढा ने पहले निलंबन को स्पष्ट रूप से अवैध और कानून के अधिकार के बिना बताया था. निलंबन का सामना करते हुए चड्ढा ने उच्च सदन से अपने अनिश्चितकालीन निलंबन को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चड्ढा को जगदीप धनखड़ से मिलने और बिना शर्त माफी मांगने को कहा.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उम्मीद जताई कि अध्यक्ष इस मामले पर “सहानुभूतिपूर्ण” दृष्टिकोण अपनाएंगे. पीठ ने चड्ढा के वकील के बयान दर्ज किए कि सांसद का उस सदन की गरिमा को प्रभावित करने का कोई इरादा नहीं है, जिसके वह सदस्य हैं और वह राज्यसभा सभापति से मिलने का समय मांगेंगे ताकि वह बिना शर्त माफी मांग सकें. (एएनआई)

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