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नई दिल्ली,8नवंबर। हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी पर्व का विशेष महत्व है. बता दें कि नरक चतुर्दशी पर्व को छोटी दिवाली या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. इस विशेष दिन पर यमलोक के देवता यमराज की विशेष उपासना की जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन स्नान, दान और दीपदान का भी विशेष महत्व है. आइए जानते हैं, कब मनाया जाएगा नरक चतुर्दशी पर्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
नरक चतुर्दशी 2023 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर दोपहर 01:57 से शुरू होगी और 12 नवंबर दोपहर 02:44 पर समाप्त हो जाएगी. उदया तिथि के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर्व 12 नवंबर 2023, रविवार के दिन मनाया जाएगा. बता दें कि इस वर्ष नरक चतुर्दशी पर्व के दिन ही दीपावली पर्व भी मनाया जाएगा. पंचांग में यह भी बताया गया है कि इस दिन अभ्यंग स्नान मुहूर्त सुबह 05:28 से सुबह 06:41 तक रहेगा. वहीं चंद्रोदय का समय शाम 05:28 होगा.
नरक चतुर्दशी पर क्यों की जाती है यमराज की पूजा?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर्व के दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है और साधक से यमराज प्रसन्न होते हैं. इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा यह है कि एक बार रंति देव नामक राजा अपने अंतकाल के निकट आ गया था. जब यमराज उनके पास आए तो उन्हें बताया कि राजा को नर्क में कुछ समय भोगना पड़ेगा. तब राजा ने कहा कि उसने तो जीवन भर कोई पाप नहीं किया तब यमराज ने बताया कि एक बार साधुओं का एक जथ्था राजा के द्वार से भूखा लौट गया था, जिस वजह से इस पाप का प्रायश्चित करना पड़ेगा. तब राजा ने यमराज से 1 साल का समय मांगा. राजा ने दरबार में उपस्थित सभी साधु-महात्माओं से इस पाप के प्रायश्चित का सुझाव पूछा. इस पर महात्माओं ने बताया कि उन्हें नरक चतुर्दशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए. इससे वह सभी पापों से मुक्त हो जाएंगे.