समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5नवंबर। पंजाब के बठिंडा जिले में किसानों के एक समूह ने खेतों में आग लगाने से रोकने वाली सरकारी टीम के आदेशों की कथित तौर पर अवहेलना की और एक अधिकारी को कथित तौर पर धान की पराली के ढेर में आग लगाने के लिए मजबूर किया. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस घटना की निंदा की. पूरी घटना का एक कथित वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आया. शनिवार को मान के आदेश के बाद पुलिस ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है. मुख्यमंत्री ने इस घटना को राज्य के लोगों के खिलाफ “अमानवीय अपराध” करार दिया. बठिंडा के उपायुक्त (डीसी) शौकत अहमद पारे ने शनिवार को कहा कि उन्होंने अधिकारी को अपना कर्तव्य निभाने से रोकने के लिए किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के वास्ते वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिखा था. यह घटना शुक्रवार को मेहमा सरजा गांव में उस वक्त हुई, जब एक विशेष पर्यवेक्षक के नेतृत्व में एक दल पराली जलाने की घटनाओं की जांच करने वहां गया था.
डीसी ने कहा कि अधिकारी को एक किसान संगठन के प्रति निष्ठा रखने वाले 50-60 किसानों के एक समूह ने घेर लिया, उन्हें पास के एक खेत में ले गए और उन्हें पराली के ढेर में आग लगाने के लिए मजबूर किया. वीडियो में किसानों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जो लोग पराली जलाने से रोकने आए थे, उनसे पराली में आग लगवा दी गई. वीडियो में यह भी दिखाया गया है कि अधिकारी का हाथ दो किसानों ने पकड़ रखा था और वे उसे माचिस की तीली से पराली में आग लगाने के लिए मजबूर कर रहे थे. यह वीडियो किसानों में से एक ने बनाया था. डीसी पारे ने कहा, “जब वह (अधिकारी) भीड़ से घिरा हुआ था, तो उसके पास क्या विकल्प था. उसके पास कोई रास्ता नहीं था.
डीसी ने कहा कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी और घटना के लिए जो लोग भी जिम्मेदार होंगे, उन्हें जेल भेजा जायेगा. उन्होंने कहा, “मैं खुद भी गांव का दौरा कर रहा हूं. हम इसे यूं ही नहीं छोड़ देंगे. अराजकता हम बर्दाश्त नहीं करेंगे.” बठिंडा पुलिस ने मामले में भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धारा 353 (अपने कर्तव्य के निष्पादन में लोक सेवक के खिलाफ हमला या आपराधिक बल का उपयोग), 186 (किसी भी लोक सेवक के सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 342 (सदोष परिरोध के लिए सजा), 506 (आपराधिक धमकी) और 149 (गैरकानूनी सभा) के तहत मामला दर्ज किया.
पुलिस ने कहा कि मामले में जांच जारी है. कड़े शब्दों वाले एक बयान में, मुख्यमंत्री मान ने इस घटना की राज्य के लोगों के खिलाफ “अमानवीय अपराध” के रूप में निंदा की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस “जघन्य” घटना पर मूकदर्शक बनकर “अराजकता” कायम नहीं रहने दे सकती. मान ने कहा, सरकारी अधिकारी पराली न जलाने का संदेश लेकर वहां गए थे, लेकिन “दबंगों” ने उन्हें माचिस की तीली से उसे जलाने के लिए मजबूर किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोग इस “कायरतापूर्ण कृत्य” से अपने ही बच्चों का जीवन बर्बाद कर रहे हैं, क्योंकि इन खेतों से निकलने वाले धुएं से उनके बच्चों का भी दम घुट जाएगा.
मान ने ‘गुरबानी’ का हवाला देते हुए कहा कि श्लोक ‘पवन गुरु, पानी पिता, माता धरत महत’ से पता चलता है कि कैसे सिख गुरुओं ने हवा (पवन) को शिक्षक, पानी (पानी) को पिता और भूमि (धरत) को मां के बराबर माना. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से इस घटना से पता चलता है कि राज्य के लोगों द्वारा उनके शब्दों का सम्मान नहीं किया जाता है. मान ने कहा कि उन्होंने पुलिस से इस कृत्य में शामिल सभी “उपद्रवियों” की पहचान करने और उनके खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा है. अक्टूबर और नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि के पीछे पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाना एक प्रमुख कारण माना जाता है. पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में शनिवार तक पराली जलाने की कुल 14,173 घटनाएं दर्ज की गई हैं.
ਪਿਆਰੇ ਪੰਜਾਬੀਓ ਆਹ ਕਿਹੜੇ ਰਾਹਾਂ 'ਤੇ ਤੁਰ ਪਏ ?? .. ਸਰਕਾਰੀ ਕਰਮਚਾਰੀ ਪਰਾਲ਼ੀ ਨਾ ਜਲਾਉਣ ਦਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਲੈ ਕੇ ਗਿਆ ਪਰ ਓਸੇ ਤੋਂ ਅੱਗ ਲਗਵਾਈ..ਹਵਾ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੇ ਗੁਰੂ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੱਤਾ .. ਅਸੀਂ ਇਸ ਦਰਜੇ ਨੂੰ ਬਰਬਾਦ ਕਰਨ ਲਈ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ 'ਚ ਤੀਲੀਆਂ ਲੈ ਕੇ ਅਪਣੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਹਿੱਸੇ ਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਖਤਮ ਕਰਨ ਲੱਗੇ… pic.twitter.com/JHzshx4fhs
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) November 4, 2023