भगवत गीता और रामचरित मानस जैसे धार्मिक ग्रंथों पर नहीं है किसी का कॉपीराइट- हाईकोर्ट

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 26सितंबर। ‘भगवत गीता और रामचरितमानस जैसे धार्मिक ग्रंथों पर किसी का कॉपीराइट नहीं है‘, ये टिप्पणी दिल्ली हाईकोर्ट ने की. हाईकोर्ट ने आगे कहा कि धर्म ग्रंथों के आधार पर बनाए गए नाटक या कोई टीवी सीरीज को कॉपीराइट के तहत संरक्षित किया जा सकता है. जस्टिस प्रथिबा एम सिंह की बेंच प्रसिद्ध विद्वान और आध्यात्मिक नेता श्रील प्रभुपाद द्वारा बनाए गए भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट द्वारा विभिन्न वेबसाइटों, मोबाइल एप्लिकेशन और सोशल मीडिया अकाउंट के खिलाफ दायर मुकदमे पर सुनवाई कर रही थी. मुकदमे के मुताबिक कई वेबासाइट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स कथित तौर पर भगवत गीता, धार्मिक पुस्तकें और अन्य सहित इसके कॉपीराइट कार्यों का प्रसार कर रहे थे.

अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भगवद गीता दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित प्राचीन ग्रंथों में से एक है, जो भागवतम जैसे अन्य ग्रंथों के साथ लेखक द्वारा लिखे गए सभी सार्वजनिक डोमेन में हैं. “ग्रंथों में किसी कॉपीराइट का दावा नहीं किया जा सकता. हालांकि उन धर्म ग्रंथों के आधार पर बनाए गए नाटक या कोई टीवी सीरीज को कॉपीराइट के तहत संरक्षित किया जा सकता है. जैसे रामानंद सागर की रामायण या बी.आर.चोपड़ा की महाभारत जैसी टेलीविजन सीरीज.”

क्या था पूरा मामला?
ट्रस्ट ने कहा कि लेखक ने वर्ष 1977 में महासमाधि प्राप्त की और उनके द्वारा लिखे गए सभी कार्यों का कॉपीराइट लेखक के पास है. ये कार्य आम जनता के लिए उसके विभिन्न धार्मिक प्रतिष्ठानों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से उपलब्ध थे और ये बिक्री और वाणिज्यिक से रॉयल्टी अर्जित करता है. हालांकि कई वेबसाइट बिना अनुमति इन कार्यों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहे हैं.

इस जस्टिस सिंह ने कहा कि चूंकि लेखक ने स्वयं वादी ट्रस्ट की स्थापना की थी और उसके द्वारा प्रशासित होने वाले कॉपीराइट उसके पास थे, कॉपीराइट किए गए कार्यों को प्राधिकरण, लाइसेंस या ट्रस्ट की अनुमति के बिना पुन: प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है. रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चलता है कि प्रतिवादी 1 से 14 द्वारा उपलब्ध कराई जा रही पुस्तकें वादी के कार्यों की पूरी प्रतिलिपि हैं, जो भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, ‘श्रील प्रभुपाद’ द्वारा लिखी गई थीं. ये केवल मूल ग्रंथों की प्रतिकृतियां नहीं हैं, यानी, श्लोक, बल्कि उनके अनुवाद (अनुवाद) और तात्पर्य, सारांश, परिचय, प्रस्तावना, कवर आदि सभी को पुन: प्रस्तुत किया गया है.

इसके साथ ही अदालत ने प्रतिवादियों को वेबसाइटों, मोबाइल एप्लिकेशन, वेबलिंक या सोशल मीडिया पोस्ट सहित ट्रस्ट के कॉपीराइट कार्यों के किसी भी हिस्से को प्रिंट या ऑडियो-विजुअल रूप में जनता के बीच प्रिंट करने या प्रसारित करने से रोक दिया. अदालत ने गूगल एलएलसी और मेटा को अपने-अपने प्लेटफॉर्म से उल्लंघन करने वाले मोबाइल एप्लिकेशन को हटाने का निर्देश दिया. इसने Godaddy.com को डोमेन नाम या वेबसाइट ‘www.bhagavatam.in’ को तुरंत ब्लॉक करने और निलंबित करने का भी निर्देश दिया.

 

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