झींगा 35,000 करोड़ रुपये के भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात में लगभग 70 प्रतिशत का योगदान देने वाला प्रमुख वस्तु है- परशोत्‍तम रुपाला

परशोत्‍तम रुपाला ने कृषि बीमा कंपनी द्वारा विकसित झींगा फसल बीमा योजना का शुभारंभ किया

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समग्र समाचार सेवा
अहमदाबाद, 15सितंबर। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्‍तम रुपाला ने गुरूवार को गुजरात के नवसारी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में आईसीएआर-सीआईबीए (आईसीएआर-केंद्रीय खारा जल मत्स्य पालन संस्थान) झींगा किसान सम्मेलन- 2023 के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। गुजरात के तटीय जिलों में लगभग 410 एक्वा किसानों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया।
परशोत्‍तम रुपाला ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के सतत विकास के लिए 20,050 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को मंजूरी प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। इसके माध्यम से झींगा प्रजनन के लिए राष्ट्रीय आनुवंशिक सुधार सुविधा केंद्र स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत 25 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ “पेनियस इंडिकस (भारतीय सफेद झींगा के लिए आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम)-चरण-1” पर आईसीएआर-सीआईबीए द्वारा कार्यान्वित एक परियोजना को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। केंद्रीय मंत्री श्री रुपाला ने झींगा में ईएचपी रोग का नियंत्रण करने के लिए चिकित्सीय ईएचपी-क्यूरा-1 विकसित करने के लिए सीआईबीए के वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं दीं और इसे जल्द से जल्द किसानों को उपलब्ध कराने के लिए कहा। मंत्री ने इस अवसर पर कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, श्रीमती गिरिजा सुब्रमण्यम की उपस्थिति में आईसीएआर-सीआईबीए के सहयोग से कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) द्वारा विकसित झींगा फसल बीमा योजना का भी शुभारंभ किया।

सीआईबीए और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के बीच दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए; सीआईबीए और गुजरात के मछली किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) क्रमशः एनएफडीबी द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रीमियम सब्सिडी और एफएफपीओ के लिए प्रौद्योगिकी सहायता के साथ जलीय कृषि के लिए फसल बीमा को लागू करने के लिए हैं। श्री रुपाला ने एनजीआरसी-सीआईबीए वैज्ञानिकों द्वारा समर्थित आजीविका विकास के लिए सीआईबीए तकनीकों को अपनाने के माध्यम से नवसारी क्षेत्र के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और केज संस्कृति लाभार्थियों द्वारा अर्जित 40.05 लाख रुपये की आय भी सौंपी। सीआईबीए का नवसारी-गुजरात क्षेत्रीय केंद्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के अन्य अंतर्देशीय खारे क्षेत्रों के एक्वा किसानों के लिए अच्छी सेवाएं प्रदान कर रहा है। श्री रुपाला ने गुजरात के मत्स्य पालन विभाग को सलाह दिया कि वह पूरे पश्चिमी तट के लिए इसे एक पूर्ण अनुसंधान सुविधा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए इस केंद्र को सभी आवश्यक सुविधाएं और समर्थन प्रदान करे। केंद्रीय मंत्री श्री रुपाला ने जीवित झींगा और फिनफिश प्रजातियों, सीआईबीए हैचरी उत्पादित झींगा और मछली के बीज की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। उन्होंने सीआईबीए द्वारा उत्पादित एशियाई समुद्री बास मछली के बीज भी किसानों को सौंपे।

नवसारी के सांसद श्री सीआर पाटिल इस सम्मेलन में सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने नवसारी में इस विशाल आयोजन के लिए आईसीएआर-सीआईबीए की सराहना की और सीआईबीए के नवसारी-गुजरात क्षेत्रीय केंद्र को सभी प्रकार का समर्थन देने का आश्वासन दिया। आईसीएआर के उप महानिदेशक (मत्स्य पालन) डॉ. जे. के. जेना ने अपने संबोधन में कहा कि झींगा 35,000 करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात में लगभग 70 प्रतिशत का योगदान देने वाला प्रमुख वस्तु है। हालांकि, हाल के वर्षों में इक्वाडोर से झींगा की अधिक मात्रा में आपूर्ति होने के कारण, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय झींगा के आयात में गिरावट दर्ज की जा रही है जिससे स्थानीय स्तर पर बाजार मूल्य कम हो गया है। इसलिए, समय की आवश्यकता है कि इस मुद्दे का समाधान करने के लिए बाजार के साथ-साथ कृषि क्षेत्रों में नवीन रणनीतियां अपनायी जाए। इसी प्रकार, एसपीएफ टाइगर झींगा और आनुवंशिक रूप से उन्नत भारतीय सफेद झींगा जैसी अन्य प्रजातियों के साथ खारे पानी में जलीय कृषि का विविधीकरण करने से आने वाले दिनों में भारतीय झींगा किसानों को लाभ प्राप्त हो सकता है।

डॉ. वी. कृपा, सदस्य सचिव, सीएए ने किसी भी सरकारी योजना का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार के तटीय एक्वाकल्चर प्राधिकरण (सीएए) के साथ झींगा फार्मों का पंजीकरण और पंजीकरण में किए गए सुधारों के बारे में स्पष्ट जानकारी दी। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि सीएए जलीय कृषि को कृषि गतिविधि के रूप में विचार करने और इसे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन सूची में कृषि क्षेत्र के रूप में शामिल करने की दिशा में काम करेगा।

आईसीएआर-सीआईबीए के निदेशक, डॉ. कुलदीप के. लाल ने अपने स्वागत भाषण में झींगा किसान सम्मेलन के महत्व, देश में और विशेष रूप से गुजरात में खारे पानी की जलीय कृषि का वर्तमान परिदृश्य, झींगा खेती के मुद्दों को संबोधित करने में सीआईबीए के प्रयासों, रोगों की निगरानी, प्रणालियों और प्रजातियों का विविधीकरण, नियामक दिशा-निर्देशों, विकासात्मक नीतियों और सामाजिक विकास करने में वैकल्पिक प्रोटीन स्रोतों और तकनीकी बैकस्टॉपिंग के साथ फ़ीड फॉर्मूलेशन के बारे में बताया।

सम्मेलन के तकनीकी सत्र के दौरान झींगा निर्यात के वर्तमान परिदृश्य और तात्कालिक संभावनाओं, माइक्रोस्पोरिडियन (एंटरोसाइटोज़ून हेपेटोपेनेई (ईएचपी) के कारण होने वाले हेपेटोपैंक्रिएटिक माइक्रोस्पोरिडिओसिस (एचपीएम) के विशेष संदर्भ में रोग की रोकथाम और प्रबंधन, झींगा खेती के लिए फसल बीमा, आनुवंशिक रूप से उन्नत भारतीय सफेद झींगा (पेनियस इंडिकस) के विकास और मडक्रैब और एशियाई सीबास मछली के साथ खारे पानी की जलीय कृषि का विविधीकरण पर चर्चा की गई।

आईसीएआर-सीआईबीए के निदेशक, डॉ. कुलदीप के. लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत भारत सरकार ने जलीय पशु रोगों के लिए देश में उभरते रोगजनकों की रिपोर्टिंग करने के लिए राष्ट्रीय रोग निगरानी कार्यक्रम (एनएसपीएएडी) का वित्तपोषण किया और किसानों द्वारा मौजूदा और उभरते रोगजनकों की रिपोर्टिंग के लिए “रिपोर्ट फिश डिजीज एपीपी” विकसित किया। इसके बाद, माइक्रोस्पोरिडियन (एंटरोसाइटोज़ून हेपेटोपेनेई (ईएचपी) के कारण होने वाले हेपेटोपैंक्रिएटिक माइक्रोस्पोरिडिओसिस (एचपीएम) पर एक ज्वलंत प्रस्तुति प्रदान की गई, झींगा फार्मों में इसका निदान और प्रबंधन आईसीएआर-सीआईबीए के वैज्ञानिक डॉ. टी. सतीश कुमार द्वारा किया गया है। उनकी प्रस्तुति के दौरान, झींगा खेतों में ईएचपी रोगजनकों का प्रबंधन करने के लिए सीआईबीए द्वारा विकसित उपचारात्मक संबंधी आशाजनक परिणामों को भी विस्तार में बताया गया।

इसके बाद झींगा फसल बीमा पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय कृषि बीमा, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और एलायंस इंश्योरेंस ब्रोकर्स के साथ सीआईबीए के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. टी. रविशंकर और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी डॉ. एल. नरशिमा मूर्ति ने हिस्सा लिया और झींगा पालन के लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस द्वारा विकसित बीमा उत्पाद और प्रीमियम के बारे में बताया, बुनियादी और रोग कवर और एनएफडीबी द्वारा प्रदान की जाने वाली 20-30 प्रतिशत सब्सिडी के लिए। किसान इस योजना के बारे में आशावान नजर आए और उन्होंने इसमें हिस्सा लेने की इच्छा व्यक्त की।

झींगा किसानों ने एक अंतर-विभागीय पैनल के अधिकारियों के सामने विशेष रूप से झींगा बीज की गुणवत्ता, झींगा का मूल्य, बिजली टैरिफ आदि जैसे अपने मुद्दों, आवश्यकताओं पर बातचीत की और उनसे उचित सलाह प्राप्त की, जिसे किसान सम्मेलन के समन्वयक डॉ. एम. कुमारन द्वारा समन्वित किया गया। बाद में, डॉ. एम. कैलाशम और सीआईबीए के विभागाध्यक्ष, डॉ. सी. पी. बालासुब्रमण्यन ने एशिया सीबास और मड केकड़े के साथ खारे पानी की जलीय कृषि का विविधीकरण और उनकी खेती प्रथाओं पर प्रस्तुति प्रदान की।

सम्मेलन का आयोजन पीएमएमएसवाई योजना, नाबार्ड, एससीएएफआई और कृषि बीमा निगम लिमिटेड के अंतर्गत राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), भारत सरकार के वित्तीय समर्थन से किया गया। इस सम्मेलन का समन्वय सीआईबीए के एनजीआरसी के डॉ. अक्षय पाणिग्रही, श्री पंकज ए. पाटिल और श्री जोस एंटनी के नेतृत्व वाले वैज्ञानिक टीम ने किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न अधिकारियों, तकनीशियनों, संकाय सदस्यों और छात्रों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।

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