शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को कुछ ऋण चुकाने होते हैं…

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1.पितृ (माता-पिता) का ऋण

2.गुरु(ऋषि)का ऋण

3.धरती का ऋण

4.धर्म का ऋण

1.पितृ ऋण चुकाने के लिये जीवन पर्यंत माता-पिता की सेवा, विवाह कर मानव जाति और वंश वृद्धि के लिए संतान उत्पत्ति और कन्या दान करना चाहिए

2.गुरु का ऋण चुकाने के लिए लोगों को शिक्षित करना चाहिए

3.धरती का ऋण चुकाने के लिए पर्यावरण की शुद्धिकरण के लिए यज्ञ- हवन,कृषि करना चाहिए या पेड़ लगाना चाहिए

4.धर्म का ऋण चुकाने के लिए धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहिए

सनातन शिक्षा, अध्यात्म व धर्म का प्रचार प्रसार करें विश्व की आधिकांश समस्याएँ स्वतः समाप्त हो जाएगी।

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